Book Title: Kalpasutra Part 01 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ aaaaaaaaaaww adMGM MOM २८ वर्षावासे क्षेत्रावग्रहप्रभा थनम् । साधु-साध्वीनां भिक्षाऽवग्रहरा नि३पाराम । निषद्ध भिक्षाऽवग्रहन्थन । भिक्षाविषयेऽन्यनिषेधथनम् । यत्तुर्थलठितष्ठाहि भिडिपान प्र३पायाम् । गृहीताशनाहीनां विवक्षितठालानन्तरम् मापनीयता नि३पाशम् । सथित्त-Zालवाहीनाभलप नीयत्वम् । उप मताप्सूपात्राहिषु अशनाघिनिषेधः । प्रतिजनायाः सविधि ठासद्धये उर्त्तव्यता । उत्पनीथाउत्पनीयवसति नि३पाराभ् । गुर्वाज्ञयैव तपःप्रभृतीनां उर्त्तव्यता । पत्रलेजानाघिनिषेधः । प्रशान्तठसहाहीनां पुन३त्पाहनानिषेधः । यथारात्रि क्षभापाशाहीनां पुर्त्तव्यता ज्थनम् । इलाहोपशभठाहीनां साधूनाभाराधष्ठत्व नि३पाराम् । ४३ पोपसंहारः । ॥छति स्थविरध विषयानुभशिडा ॥ ॥श्री उपसूत्रे नयसाराष्टिषाविंशतिलवस्थाया विषयानुभशिडा॥ अनु. विषय पाना नं. भंगलायरशभ । उपोधातः । नयसारज्था । नयसारनाभष्ठः प्रथभो भवः ५ सौधर्भ उल्पिविभवः । શ્રી કલ્પ સૂત્ર : ૦૧

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