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उत्तर भारत के जैन मूर्ति अवशेषों का ऐतिहासिक सर्वेक्षण ]
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में ओली, पक्बीरा, संक एवं सेनारा आदि स्थानों से जैन मूर्तियां मिली हैं (चित्र ११, ६८ ) । मिदनापुर के राजपारा से शान्ति (१० वीं शती ई०) एवं पार्श्व की दो मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। अम्बिकानगर एवं बरकोला से अम्बिका की मूर्तियां, और बरकोला से ऋषभ ( या सुविधि) एवं अजित तथा जिन चौमुखी मिली हैं ।' कुमारी नदी के किनारे से दसवीं शतीई० की पार्श्व एवं कुछ अन्य जैन मूर्तियां उपलब्ध हुई हैं । धरपत जैन मन्दिर से ग्यारहवीं शती ई० की पारखं एवं महावीर मूर्तियां मिली हैं । महावीर मूर्ति के परिकर में २४ लघु जिन आकृतियां हैं । देउभेर्य से पार्श्व (परिकर में २४ जिनों से युक्त), सर्वानुभूति एवं अम्बिका की मूर्तियां (८ वीं - ९ वीं शती ई०) मिली हैं । अम्बिकानगर की एक ऋषभ मूर्ति ( ११ वीं शती ई०) के परिकर में २४ जिनों की लांछन युक्त मूर्तियां हैं ।" छितगिरि से शान्ति एवं पारसनाथ से पार्श्व की मूर्तियां मिली हैं। पार्श्व के आसन पर नाग-नागी की आकृतियां हैं। केन्दुआ से मिली पाश्र्व की मूर्ति में दो नाग आकृतियां एवं चामरधर सेवक आमूर्तित हैं ।" पुरुलिया के पक्बीरा से ऋषभ, पद्मप्रभ एवं जिन चौमुखी मूर्तियां प्राप्त हुई हैं
( चित्र ६८ ) । आसपास के क्षेत्र से भी पार्श्व, जैन युगल एवं अम्बिका की मूर्तियां ज्ञात हैं ।" बर्दवान में रेन, कटवा, उजनी आदि स्थलों से जैन मूर्तियां मिली हैं । "
१ जैन जर्नल, खं० ३, अं० ४, पृ० १६३
२ बनर्जी, आर० डी०, 'इस्टर्न सर्किल, बंगाल सरेनगढ़', आ०स०ई०ए०रि०, १९२५-२६, पृ० ११५
३ चौधरी, रबीन्द्रनाथ, 'धरपत टेम्पल्' माडर्न रिव्यू, खं० ८८, अं० ४, पृ० २९६-९८
४ मित्रा, देबला, 'सम जैन एन्टिक्विटीज फ्राम बांकुड़ा, वेस्ट बंगाल', ज०ए०सी०बं०, खं० २४, अं० २, पृ० १३२ ५ वही, पृ० १३३ - ३४ ६ वही, पृ० १३४
७ बनर्जी, आर० डी०, 'दि मेडिवल आर्ट ऑव साऊथ वेस्टर्न बंगाल', माडर्न रिव्यू, खं० ४६, अं० ६,
पृ० ६४०-४६
८ बनर्जी, ए०, 'ट्रेसेज ऑव जैनिजम इन बंगाल', ज०यू०पी०हि०सो०, खं० २३, भाग १ - २, पृ० १६८ ९ जैन जर्नल, खं०३, अं० ४, पृ० १६५
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