Book Title: Jain Pratimavigyan
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 328
________________ ३१० [ जैन प्रतिमाविज्ञान बहुपुत्रिका-३५, १५६, २५१ भगवतीसूत्र-२९, ३१, ३३-३५, ४७, २४९, २५१ बहुरूपा-११४ भड़ौंच-१२७ बहुरूपिणी-११४-१५, २१४-१५ भद्रेसर-५९ बहुलारा-१३१ भद्रेश्वर-५३ बांकुड़ा-७८, ९२, १३१, १३९, १५२ भरत चक्रवर्ती--४१-४२, ६९, ७८, ९४, १४२, १४७,. २.३ बांसी-२२० भरतपुर-१२७, १३७, १५०, २४३ बादामी-१३५, १ ४, २४१, २४३, २४६ भरत-बाहुबली युद्ध-६४, ९३-९४, २५० बानपुर-७५ भानु-१०७ बारभूम-९२ भिल्ल कुरंगक-१३३ बालचन्द्र जैन-१० भीमदेव प्रथम-६२ बालसागर-२३८ भीमनादा-२२३ बाहुबली-२, १२, ४१-४२, ६९, ७३, ७५, ७८, ८४, भृकुटि यक्ष-११७, २१६-१७, २५१ ८६, ८९, ९०, ९४, १४४, १४७, २४९-५० भृकुटि यक्षी-१०३, १८७-८८,२५१ बिजनौर-९८ भृगुकच्छ-११६ बिजौलिया-६६ भेलोवा-९१ बिम्बिसार-१४ भैरव-पद्मावती कल्प-२३६-३७ बिल्हारी-७५, १६८ भैरवसिंहपुर-७६ बिहार----७६ मकर लांछन-१०४ बी० भट्टाचार्य-५ मंगला-९९ बी० सी० भट्टाचार्य-५, ६, ४३, २०४ मण्डोर-५९ बुद्ध-२२३-२४ मतिज्ञान-११५-१६ बूढी चन्देरी-९० मत्स्य लांछन-११३ बृहत्कल्पभाष्य-१६ मथुरा-२,१७, ४६-५०, ६६, ६७, ८०, ८६, ९२, बृहत्संहिता-८१ ९५, ९७, ११७-१८,१२०, १२४-२६, १३५-३६, बैजनाथ-१०२ १३९, १४९-५०, २४८, २५०-५१ बोरमग्राम-७६ जनसमाज-१९ बौद्ध तारा-७८, १६२, २१० जैन स्तूप-१७, १८, ४६ बौद्ध प्रभाव-७८, १५५ बौद्ध मारीची-२०८ द्वितीय वाचन-१९ मागवत संप्रदाय-१८ अजेन्द्रनाथ शर्मा-१० ब्रह्म-१०५, १९०-९१ मथुरापुर-११७ मदनपुर-६९, ११०, ११३ ब्रह्मशान्ति यक्ष-४४, ५४, ५५, ५७-६०, ६२-६४, ६६, मदिदलपुर-१०४ ६९, ९४, ९५, १२७, २४३, २४९, मधुसूदन ढाकी-१० . २५३ मध्य प्रदेश-७०-७५ ब्रह्मा-२, ४४, १०५, १४०, १७३, १७९, १९१, १९५, | मध्ययुगीन जिन मूर्तियाँ-८५, ८७-९२, ११९-२१, १९८ १३७-३९ ब्राह्मी-८६, ९४ | मनियार मठ-७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370