Book Title: Jain Pratimavigyan
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 334
________________ ३१६ सुदर्शना -- ११६ सुनन्दा -- ८६ सुन्दरी -- ८६, ९४ सुपार्श्वनाथ -- ८२, ८३, ८९, ९५, ९८, १००-०२, १०८, १४५-४७, १४९, १५१, १५९-६०, १८४ ८६, २५०-५२ सुमंगला -- ८६ सुमतिनाथ - - ९९-१००, १४६, १८०-८२ सुमालिनी -- १८८-८९ सुमित्र - - ११४ सुयशा -- १०७ सुरक्षिता -- २०३ सुरूदेव -- १११ सुरोहर - ७८, ९१ सुलक्षणा -- १९९ सुलोचना--१८३ सुवर्णबाहु - १३३ सुविधिनाथ - - १०४, १८९-९० सुव्रता - १०७ सुसीमा -- १०० सूत्रकृतांगसूत्र-- ३६, २५३ सेजकपुर -- ५३ सेट्टिपोडव ( मदुराई) --२४७ सेनादेवी -- ९७ सेवड़ी --१३७ महावीर मन्दिर -- ६०-६१, १६७ सोनगिरि - - १०४ सोनभण्डार गुफा -- १९, ७६, ९७, १३८, १४९, १५१ सोम--२२४ सोलह महाविद्या-८, २२, ४०-४१, ५४, ६३-६५, ७४, २४९, २५३ सौधर्म लोक - - ११६ स्तम्भिनी -- २२३ स्तुति चतुर्विंशतिका - - ४०, ४१, ४३, ४४, २५३ स्तूप--४७ स्त्री दिक्पाल -- ६१ स्त्री- पुरुष युगल – १५० Jain Education International स्थानांगसूत्र - ३१, ३३, ३६, २५३ - स्वस्तिक - १०१-०२, १४९ हड़प्पा - ४५ हरिवंशपुराण - ३, ३२, ४०, ४१, ४७, ७३, १५४, १५६, २५३ हरिवंशी महाराज - ११७ हस्तिकलिकुण्डतीर्थं --- १३४ हस्तिनापुर - १०८, ११२-१३ हिन्दू अम्बा - २२४ अम्बिका - २२८ [ जैन प्रतिमाविज्ञान उमा - २ काली - १८६ कुबेर - २१२, २१९, २२६-२७, २४२ कुसुममालिनी – २१८ कौमारी - २, ६३, ७५, १९७, २०८, २४९ गरुड - २०४ दिक्पाल - ४३ दुर्गा -- २२४ देव - ७२, ७३, २०३ ब्रह्माणी -- ७८, १६२, २१८ भैरव -- ४३ मन्दिर -- ७० महाकाली -- २०९ महिषमर्दिनी -- ९ माहेश्वरी -- २ योगिनियां -- ४३ रेवन्त – ७१ वाराही - २०८ वैष्णवी -- २४६, २५२ शिवा -- २, ५४, ६३, १८६, २२३, २४९ For Private & Personal Use Only हिन्दू प्रभाव - ८, ९, २१, ७८, ९५, १५५, १७९, १९५, २१०, २२४ हीमादेवी -- २१३ हेमचन्द्र -- १६ ह्वेनसांग — २०, २८ www.jainelibrary.org

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