Book Title: Jain Pratimavigyan
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 324
________________ ३०६ जयन्तनाग - १२३ जयसेन – ८३ जया - १०५, ११२, १५३, २०८ जरासन्ध - १२३ जाजपुर – २८ जालपाश – ११७ जालोर - २, २४९ आदिनाथ मन्दिर - ६५ पार्श्वनाथ मन्दिर - ६५, ११५-१६, २५० महावीर मन्दिर - ६५-६६, २२६, २३१ जितशत्रु - ९५, ११६ जितारि ९७ जिनकांची - २३० जिन चीबीसी - ६९, १४९ २६६ जिन चौबीसी - पट्ट - ६८, ६९ जिन - चौमुखी - ५०, ६२, ६४, ६७-६९, ७५, ७६, ७८, ७९, ८१, १२६, १४८-५२, २४८, २५१, २६६ जिननाथपुर - १७२ जिनप्रभसूरि- २२४ जिनमूर्ति - ६३, ६४, ८१, ८४-८५ जिन मूर्तियों का विकास – ८० जिन लांछन – ५०, ८१, ८२-८३, ८५ जिन समवसरण - ४, ५४, ६३, ८६, ९३, ९४, १११-१२, ११७, १२२-२४, १३४, १३६, १४२४३, १४८, १५२-५४, २४९, २५१, २६७ जिनों के जीवनदृश्य -- ३, १२, ४७, ४९, ५४-५५, ५७, ५८, ६३-६५, ८१, ९२ ९४, ११११२, ११५-१६, १२१-२४, १३२३४, १३९-४३, २४८-५० जिनों के माता-पिता - ४२, ५२-५५, ५८, ६९, ९४, २४९ जी० ब्यूहलर -- ३, १९ जीवन्तस्वामी मूर्ति - १, ८, १५-१६, ५१, ५७, ५८, ६०, ६७, ८४, ११५, १३६-३७, १४४, २६६, २४९-५० जूनागढ़ गुफा – ४९ Jain Education International जे० ई० वान ल्यूजे-डे- ल्यू – ८, ४७ जे० एन० बनर्जी - १६५ जे० बर्जेस - २३१ जयपुर - ७६ जैन आगम - १५५-५६ जैन आचार्य - २५-२७, ६९, ७४, ७५, ९०, ९८, १११, ११६, १४७, १५०, १९५ जैन देवकुल - ३६-३७, १५५ जैन परम्परा में अवर्णित देव मूर्तियां - ५४-५६, ५८-६२, [ जैन प्रतिमाविज्ञान जैन युगल - ५७, ७५, ७६, ७८, ७९, २४९ जैन स्तूप - ३ तत्वार्थसूत्र - ३४, २५१ तान्त्रिक प्रभाव - २२ ज्वाला - १०३, १८७ ज्वालामालिनी - १८७-८८, २३०, २४०, २५३ झालरापाटन - २३७ झालावाड़ - २३७ टी० एन० रामचन्द्रन - ५, ११, १५८ डब्ल्यू ० नार्मन ब्राउन - ५ डी० आर० भण्डारकर – ४ ६४-६६, ७१, ७४ तारंगा - २,५२,५६-५७, २२६ अजितनाथ मन्दिर - १६३, २२१, २२६, २३१ तारादेवी - २१०-११ तारावती - ११३, २१०-११ तालागुड़ी - ९१ तुम्बरु -- ९९, १८०-८१ तेजपाल - २१, ६४ तेली का मन्दिर - ८८ तिज्यपहुत्त - ४०, २५३ तिन्दुक (या पलाश) वृक्ष - १०५ तिन्दुक - १४३ तिलक वृक्ष - ११२ तिलोयपण्णत्ति - ३७, ३८-३९, १५७, १६१, २५०-५१ For Private & Personal Use Only त्रावनकोर - २३० त्रितीर्थी- जिन-मूर्ति - २, १४६-४७, २४९, २५१, २६६ त्रिपुरभैरवी - २३७ www.jainelibrary.org

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