Book Title: Jain Pratimavigyan
Author(s): Maruti Nandan Prasad Tiwari
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 292
________________ २७४ [ जैन प्रतिमाविज्ञान चौधरी, रबीन्द्रनाथ, (१) 'आकिअलाजिकल सर्वे रिपोर्ट ऑव बांकुड़ा डिस्ट्रिक्ट', माडर्न रिव्यू, खं० ८६, अं० १, जुलाई १९४९, पृ० २११-१२ (२) 'धरपत टेम्पल', माडर्न रिव्यू, खं० ८८, अं० ४, अक्तूबर १९५०, पृ० २९६-९८ चौधरी, गुलाबचंद्र, पालिटिकल हिस्ट्री ऑव नार्दर्न इण्डिया फ्राम जैन सोर्सेज (सरका ६५० ए० डी० टू १३०० ए० डी०), अमृतसर, १९६३ जयन्तविजय, मुनिश्री, होली आबू (अनु० यू० पी० शाह), भावनगर, १९५४ जानसन, एच० एम०, 'श्वेतांबर जैन आइकानोग्राफी', इण्डि० एण्टि, खं० ५६, १९२७, पृ० २३-२६ जायसवाल, के० पी०, (१) 'जैन इमेज ऑव मौयं पिरियड', ज०बि००रि०सो०, खं० २३, भाग १, १९३७, पृ० १३०-३२ (२) 'ओल्डेस्ट जैन इमेजेज डिस्कवर्ड', जैन एण्टि०, खं० ३, अं० १, जून १९३७, पृ० १७-१८ जेनास, ई० तथा ऑबोयर, जे०, खजुराहो, हेग, १९६० जैन, कामताप्रसाद, (१) 'जन मूर्तियां', जैन एण्टि०, खं० २, अं० १, १९३५, पृ० ६-१७ (२) 'दि एण्टिक्विटी ऑव जैनिजम इन साऊथ इण्डिया', इण्डि०क०, खं० ४, अप्रैल १९३८, पृ० ५१२-१६ (३) 'मोहनजोदड़ो एन्टिक्विटीज ऐण्ड जैनिजम', जैन एण्टि०, खं० १४, अं० १, जुलाई १९४८, पृ० १-७ (४) 'शासनदेवी अम्बिका और उनकी मान्यता का रहस्य', जैन एण्टि, खं० २०, अं० १, जून १९५४, पृ० २८-४१ (५) 'दि स्टैचू ऑव पद्मप्रभ ऐट ऊर्दमऊ', वा अहिं०, खं० १३, अं० ९, सितम्बर १९६३, पृ० १९१-९२ जैन, के० सी०, जैनिजम इन राजस्थान, शोलापुर, १९६३ जैन, छोटेलाल, जैन बिबलिआनफी, कलकत्ता, १९४५ जैन, जे० सी०, लाईफ इन ऐन्शण्ट इण्डिया : ऐज डेपिक्टेड इन दि जैन केनन्स, बम्बई, १९४७ जैन, ज्योतिप्रसाद, (१) 'जैन एन्टिक्विटीज इन दि हैदराबाद स्टेट', जैन एण्टि०, खं० १९, अं० २, दिसम्बर १९५३, पृ० १२-१७ (२) 'देवगढ़ और उसका कला वैभव', जैन एण्टि, खं० २१, अं० १, जून १९५५, पृ० ११-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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