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सन्दर्भ - सूची ]
जैन,
(३) 'आइकनोग्राफी ऑव दि सिक्स्टीन्थ तीर्थंकर', वा०अह०, खं०९, अं०९, सितम्बर १९५९, पृ०२७८-७९ (४) दि जैन सोर्सेज ऑव दि हिस्ट्री ऑव ऐन्शष्ट इण्डिया (१०० बी० सी० ए० डी० ९००), दिल्ली, १९६४ (५) 'जेनिसिस ऑव जैन लिट्रेचर ऐण्ड दि सरस्वती मूवमेण्ट', सं०पु०प०, अं० ९, जून १९७२, पृ० ३०-३३.
नीरज,
(१) ' नवागढ़ : एक महत्वपूर्ण मध्ययुगीन जैन तीर्थ', अनेकान्त, वर्ष १५, अं० ६, फरवरी १९६३, पृ० २७७-७८
(२) 'पतिया दाई मन्दिर की मूर्ति और चौबीस जिन शासनदेवियां', अनेकान्त, वर्ष १६, अं० ३, अगस्त १९६३, पृ० ९९-१०३
(३) 'ग्वालियर के पुरातत्व संग्रहालय की जैन मूर्तियां', अनेकान्त, वर्ष १५, अं० ५, दिसम्बर १९६३, पृ० २१४-१६
(४) 'तुलसी संग्रहालय, रामवन का जैन पुरातत्व', अनेकान्त, वर्ष १६, अं० ६, फरवरी १९६४, पृ० २७९-८०
(५) 'बजरंगगढ़ का विशद जिनालय', अनेकान्त, वर्ष १८, अं० २ जून १९६५, पृ० ६५-६६
(६) 'अतिशय क्षेत्र अहार', अनेकान्त, वर्ष १८, अं० ४, अक्तूबर १९६५, पृ० १७७-७९ (७) ' अहार का शान्तिनाथ संग्रहालय', अनेकान्त, वर्ष १८, अं० ५, दिसम्बर १९६५, पृ० २२१-२२
जैन, बनारसीदास,
'जैनिजम इन दि पंजाब', सरूप भारती : डॉ० लक्ष्मण सरूप स्मृति अंक ( सं जगन्नाथ अग्रवाल तथा भीमदेव शास्त्री), विश्वेश्वरानन्द इण्डोलाजिकल सिरीज ६, होशियारपुर, १९५४, पृ० २३८-४७
जैन, बालचंद्र,
२७५
(१) 'महाकौशल का जैन पुरातत्व', अनेकान्त, वर्ष १७, अं० ३, अगस्त १९६४, पृ० १३१ - ३३ (२) 'जैन प्रतिमालक्षण', अनेकान्त, वर्ष १९, अं० ३, अगस्त १९६६, पृ० २०४-१३
(३) 'धुबेला संग्रहालय के जैन मूर्ति लेख', अनेकान्त, वर्ष १९, अं० ४, अक्तूबर १९६६, पृ० २४४–४५
(४) 'जैन ब्रोन्जेज फ्राम राजनपुर खिनखिनी', ज०ई० म्यू०, खं० ११, १९५५, पृ० १५-२०
(५) जैन प्रतिमाविज्ञान, जबलपुर, १९७४
जैन, भागचन्द्र,
देवगढ़ की जैन कला, नयी दिल्ली, १९७४
जैन, शशिकान्त,
'सम कामन एलिमेण्ट्स इन दि जैन ऐण्ड हिन्दू पैन्थिआन्स - I यक्षज ऐण्ड यक्षिणीज', जैन एण्टि०, खं० १८, अं० २, दिसम्बर १९५२, पृ० ३२-३५ खं० १९, अं० १ जून १९५३, पृ० २१-२३
जैन, हीरालाल,
(१) जै०शि०सं० (सं०), माग १, माणिकचन्द्र दिगंबर जैन ग्रन्थमाला २८, बम्बई, १९२८
(२) 'जैनिजम', दि स्ट्रगल फार एम्पायर (सं० आर० सी० मजूमदार तथा ए० डी० पुसाल्कर), बम्बई, १९६० ( पु० मु०), पृ० ४२७-३५
(३) भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, भोपाल, १९६२
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