Book Title: Jain Bauddh Tattvagyan Part 02
Author(s): Shitalprasad Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 16
________________ (१६) हिसार बा० महावीर प्रसादजी वकील एक उत्साही और सफल कार्यकर्ता हैं। हिसारकी जैन समाजका कोई भी कार्य आपकी सम्मतिके बिना नहीं होता। मजैन समानमें भी आपका काफी सन्मान है । इस वर्ष स्थानीय रासलीला कमेटीने सर्वसम्मति से पको सभापति चुना है । शहरके प्रत्येक कार्यमें आप काफी हिस्सा -लेते हैं। जैन समाज के कार्योंमें तो आप खास तौरपर भाग लेते हैं। आपके विचार बड़े उन्नत और धार्मिक हैं। हिसारकी जैन समाजको आपसे बड़ी२ माशाएं हैं, और वे कभी अवश्य पूर्ण भी होंगी। आपमें सबसे बड़ी बात यह है कि आपके हृदय में सांप्रदा विकता नहीं है जिसके फलस्वरूप आप प्रत्येक संप्रदाय के कायमै विना किसी भेदभाव के सहायता देते और हिस्सा लेते हैं । माप प्रतिवर्ष काफी दान भी देते रहते हैं। जैन भजैन सभी प्रकार के चंदोंमें शक्तिपूर्वक सहायता देते हैं। गतवर्ष आपने श्री०ब० सीतलप्रसादजी द्वारा लिखित 'मात्मोन्नति या खुदकी तरक्की' नामका ट्रेक्ट छपाकर वितरण कराया था । और इस वर्ष भी एक ट्रेक्ट छपाकर वितरण किया जाचुका है । आउने करीब लागतसे अपने बांबा कां० सरदारसिंहनीकी आश्रम " सिरसा (हिसार) में एक सुन्दर कमरा भी बनवाया है। आपके ही उद्योगसे गतवर्ष त्र०जीके चातुर्मास के अवसरपर सिरसा (हिसार) में श्री मंदिरजी की आवश्यकता देखकर एक दि० जैन मंदिर बनाने के विषय में विचार हुआ था, प्रेरणा से का० केदारनाथजी बजान हिसारने ३०० ) - ४००) की स्मृतिमें " अपाहिज उस समय आपकी ही १०००) और बा० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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