________________
2. मांस को आराम देने वाला - मांससुख । 3. चमड़ी को आराम देने वाला -- त्वक्सुख । 4. रोमों को आराम देने वाला - रोमसुख ।
प्रारोग्यशाला ___ जैन आगम ग्रंथों में आरोग्यशालाओं (तेगिच्छणसाला =चिकित्साशाला) का उल्लेख मिलता है। वहां वेतनभोगी अनेक वैद्य, वैद्यपुत्र, ज्ञायक, ज्ञायकपुत्र, कुशल और कुशलपुत्र आदि व्याधिग्रस्तों, ग्लानों, रोगियों और दुर्बलों की चिकित्सा विविध प्रकार की औषधियों और भेषजों द्वारा करते थे ।
विशेष-विस्तार के लिए लेखक को शीघ्र प्रकाश्यमान कृति "जैन आगमसाहित्य में
आयुर्वेद" का अवलोकन करें।
2000-
-
-
-
मातृधर्मकथा, 1 3, पृ. 943
[
37
]