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यस्मात्तस्मादपि श्रुत्वा यत्र कुत्रापि वीक्ष्य च । द्रव्यव्ययं प्रकुर्वन्तो मुधा ताम्यंति बालिशा: । प्रसन्नीभूय चेत्सवं दर्शयेत्कर्म सद्गुरुः ।। लीलयापि तदा सर्वे योगा: विसंशयम् ।।।। ततोऽत्र व्यक्तमुक्तेऽपि प्रन्थार्थ मुल्यनिश्चयम् ।
गुरूनपेक्ष्य नो कार्यो धातुवादे परिश्रमः ।।6।। किसी भी रसकर्म को प्रारम्भ करने से पूर्व एक मास तक ब्रह्मचर्य का पालन और हविष्यान्न का भोजन करना चाहिए । ब्रह्मचर्यरूपी तप के नष्ट हो जाने से क्रियाबों का फल नहीं मिलता
'ब्रह्मचर्य तपःकार्य हविष्यान्नस्य भोजनम् ।
क्रियाभ्रष्टे न सिद्ध -यन्ति तपोनष्टे फलन्ति न || 1' 'रसाध्याय' का 'वार्तिक' वस्तुतः मूल 'रसाध्याय' का अपने अधीत, दृष्ट एवं अनुभूत ज्ञान से संशोधित, विवेचित कर प्रस्तुत उपलब्ध रसाध्याय के रूप में प्रकट हुआ है। अतः मूल 'रसाध्याय' का पता नहीं चलता ।
इसमें 'रस' विषयक ज्ञान शृंखलाबद्ध-रूप में अभिव्यक्त किया गया है ('वदामि व्यजितो यत्र युक्तिभिः शृंखलारसः। 12 जो इस प्रकार है-रस का शोधन, शोधित रस का मूर्च्छन-उत्थापन, फिर पातन, पुनः उत्थापन, स्वेदन, नियामन, निरोधन, वक्रप्रसारण, अभ्रकजारण, लोहजारण, अयःप्रकाशराजिजारण, हेमरा जिजारण, गंधकजारण, मनःशिलासत्वजारण, खापरसत्वजारण, अन्नपथहीरक जारण, जीर्णवज्र (हीरे) का बंध, सारण, मारण, कामण, पुनः बंध और बंध का उद्घाटन । इस प्रकार क्रमशः रसकर्म किया जाता है ।
मेरुतुग ने 'रसाध्याय' पर ! 386 ई. में टीका लिखी थी । अतः यह इससे पहले की रचना है । संभवत 13वीं शती की । इसमें कुल 11 अध्याय (अधिकार) हैं -
। पारद के अष्टादश संस्कार, 2 राजिस्वरूप हेमराजि, घोषराजि, माक्षिकराजि, नागराजि, 3 खापर सत्वपातनविधि, 4 मन:शिलासत्वपातनविधि, 5 षड्लोहद्रुतिकरणविधि, 6 षड्लोहमारणविधि,7-8 हीरकभस्मविधि, 9 गन्धकशोधन, 10गन्धकपीठी, 11 गन्धकतैल, 12 हेमकर्म, 13 सहस्रवेधरविधि 14 गन्धकद्रुतिपीठी, 15 गन्धकद्रुतिपीठीकर्म, 16 तालक का शोधन, एवं 17.तालक-कर्म, 18 अभ्रकद्रुति, 19 अभ्रकद्रुतिकर्म, 20 हेम-वज-भस्म, भूनागसत्वपातन और उनके कर्म, 21 बालवादिनीगुटिका।
___ इस ग्रन्थ में 'पारद के कम' 84 प्रकार के, गुटिकाओं के 84 प्रकार और 84 प्रकार के 'अंजन'; कुल 252 भेद बताये हैं । इनमें से किसी एक का साधन करने से पूर्व एवं फल की प्राप्ति के अंत में अखण्डित तप करना चाहिए। साधन करना प्रारंभ करने एक माह पूर्व से ब्रह्मचर्य भूमि पर सोना, हविष्यांन्न (दूध-भात या खीर) का
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