Book Title: Dharm Pariksha Part 02
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan Trust

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Page 15
________________ क्र. 双双双双双双双双双双双频观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观观環 ॐ धर्मपरीक्षा ROCCOACHAO OOOOOOOOOO O cccxcccccccccx विषय | ७१ | प्रवचनसारोद्धारवृत्तिपाठः, ८२ पत्रांकप्रारब्धस्य मूलपूर्वपक्षस्य समाप्तिश्च ७२ | पूर्वपक्षं प्रति विकल्पद्वयनिरूपणम् प्रथमविकल्पखण्डनम् ७४ | अभव्या अनन्तद्रव्यक्रियाग्रहणपरित्यागवन्त इति उपदेशपदे प्रसिद्धम् | उपदेशपदपाठः परिभाषात्मकद्वितीयविकल्पखण्डनम् परिभाषा वस्तुतत्त्वं न त्याजयति इति निरूपणम् पृथिव्यादिविविधव्यवहारयोगित्वं व्यवहारित्वलक्षणम् | चक्षुर्ग्राह्यशरीरत्वं न व्यवहारित्वलक्षणम् प्रज्ञापनावृत्त्यनुसारेणापि बादरनिगोदजीवानां व्यवहारित्वसिद्धिः अनादिवनस्पतय इति च सूक्ष्मनिगोदानामेवाभिधानं, न तु बादरनिगोदानाम् लघूपमितभवप्रपञ्चग्रन्थपाठः | वृद्धोपमितभवप्रपञ्चग्रन्थपाठः | समयसारसूत्रवृत्तिपाठः भवभावनाग्रन्थपाठः श्रावकदिनकृत्यग्रन्थपाठः पुष्पमालाबृहद्वृत्तिपाठः पुष्पमालालघुवृत्तिपाठः धर्मरत्नप्रकरणपाठः | संस्कृतनवतत्त्वसूत्रपाठः ९१ | सिद्धानां व्यवहारराशितोऽनन्तगुणत्वापत्तेनिरासः | सर्वेषां व्यवहारिणां सिद्ध्यापत्तेर्निरासः ९३ सूत्राभिप्रायगवेषणाग्रहप्रतिपादनम् ९४ | आधुनिकेषु भवभावनादिग्रन्थेषु प्रज्ञापनाद्यागमविरुद्धानि वचनानि | अनाभोगजन्यानीति पूर्वपक्षः अभिप्रायमज्ञात्वा प्राचीनप्रकरणलोपे महाशातनाप्रसङ्ग इति समाधानम् ९६ | यादृच्छिककल्पनाऽयुक्ता 強い寒寒寒寒寒寒寒寒寒い寒い※※※英英英英英英英英英英英英英英英※※※英※※※※※※英英英英※※※※※※※※※※※英英英英英英英英※※※※ મહામહોપાધ્યાય યશોવિજયજી વિરચિત ધર્મપરીક્ષા - ચન્દ્રશેખરીયા ટીકા + વિવેચન સહિત છે૧

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