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विषय-प्रवेश |
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टाड राज
कि भारतवर्ष के ब्रह्मावर्त प्रदेश में ही ब्रह्माजीने सृष्टि रचनाका आरंभ किया था । इंजील तथा कुरानसे भी आदम और हौभाका अदनकी बाटिका से निकल कर भारत में आना प्रकट होता है । उसका प्रमाण अनेक आधुनिक विद्वानोंके लेखोंसे भी मिलता है स्थान' में एक जगह लिखा है कि " आर्यावर्त के अतिरिक्त और किसी देश में सृष्टिके आरंभका प्रमाण नहीं पाया जाता । अत एव आदि सृष्टि यहीं हुई, इसमें कोई सन्देह नहीं है । " इसके अतिरिक्त ' History of the world " ( हिस्ट्री आवदी वर्ल्ड ) में सर वाल्टर रेले नामक अँगरेज विद्वान्ने लिखा है कि (( जल - प्रलयके अनन्तर भारत में ही वृक्ष लता आदिकी सृष्टि और मनुष्योंकी बस्ती हुई थी । " ब्राउन साहबने २० फरवरी १८८४ ई० के " डेली ट्रिब्यून " नामक पत्रमें स्वीकार किया है कि-" यदि हम पक्षपात रहित होकर भली भाँति परीक्षा करें तो हमको स्वीकार करना पड़ेगा कि भारत ही सारे संसार के साहित्य, धर्म और सभ्यताका जन्मदाता हैं । "
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प्रायः सभी नये और पुराने इतिहास- वेत्ता इस बातको स्वीकार करते हैं कि दर्शन, विज्ञान और सभ्यता-सम्बंधी सारी बातें यूनानने भारतसे ही सीखी हैं । और तब वहाँ से उनका प्रसार सारे संसार में हुआ | अरब में यूरोप और यहींसे जाकर प्रकाश फैला वर्तमान भूगोल, इतिहास और पुराने चिन्होंकी खोज स्पष्ट रूप से प्रकट करती है कि भारतीय ( हिन्दू ) अपने देश भारतमें विद्या और कला-कौशल में प्रवीण होकर अन्य देशों में उसका प्रचार करने गये थे । यूनानके प्राचीन इतिहास से भी पता लगता है कि अपरिचित लोग पूर्वको ओरसे जाकर वहाँ बसे थे। वे
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