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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय-प्रवेश | 6 टाड राज कि भारतवर्ष के ब्रह्मावर्त प्रदेश में ही ब्रह्माजीने सृष्टि रचनाका आरंभ किया था । इंजील तथा कुरानसे भी आदम और हौभाका अदनकी बाटिका से निकल कर भारत में आना प्रकट होता है । उसका प्रमाण अनेक आधुनिक विद्वानोंके लेखोंसे भी मिलता है स्थान' में एक जगह लिखा है कि " आर्यावर्त के अतिरिक्त और किसी देश में सृष्टिके आरंभका प्रमाण नहीं पाया जाता । अत एव आदि सृष्टि यहीं हुई, इसमें कोई सन्देह नहीं है । " इसके अतिरिक्त ' History of the world " ( हिस्ट्री आवदी वर्ल्ड ) में सर वाल्टर रेले नामक अँगरेज विद्वान्ने लिखा है कि (( जल - प्रलयके अनन्तर भारत में ही वृक्ष लता आदिकी सृष्टि और मनुष्योंकी बस्ती हुई थी । " ब्राउन साहबने २० फरवरी १८८४ ई० के " डेली ट्रिब्यून " नामक पत्रमें स्वीकार किया है कि-" यदि हम पक्षपात रहित होकर भली भाँति परीक्षा करें तो हमको स्वीकार करना पड़ेगा कि भारत ही सारे संसार के साहित्य, धर्म और सभ्यताका जन्मदाता हैं । " <s प्रायः सभी नये और पुराने इतिहास- वेत्ता इस बातको स्वीकार करते हैं कि दर्शन, विज्ञान और सभ्यता-सम्बंधी सारी बातें यूनानने भारतसे ही सीखी हैं । और तब वहाँ से उनका प्रसार सारे संसार में हुआ | अरब में यूरोप और यहींसे जाकर प्रकाश फैला वर्तमान भूगोल, इतिहास और पुराने चिन्होंकी खोज स्पष्ट रूप से प्रकट करती है कि भारतीय ( हिन्दू ) अपने देश भारतमें विद्या और कला-कौशल में प्रवीण होकर अन्य देशों में उसका प्रचार करने गये थे । यूनानके प्राचीन इतिहास से भी पता लगता है कि अपरिचित लोग पूर्वको ओरसे जाकर वहाँ बसे थे। वे For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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