________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
पशु-धन ।
पशु-धन ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
९१
1
पालतू पशु देशकी एक बड़ी भारी संपत्ति है। भारत प्रत्येक बातमें दरिद्र है । यदि अन्न और धनमें दरिद्र है तो पशुधनमें भी कंगाल है । हमें दुःख है कि यहाँ कृषक तो अधिक हैं, परन्तु पशु कम हैं ! धुरन्धर डाक्टरों और वैद्य शास्त्रियों का यही मत है कि दूध बड़ा बलवर्धक भोज्य पदार्थ है; क्योंकि उसमें मनुष्यजीवनकी रक्षा करने और शरीरको बलिष्ट बनानेवाली सभी वस्तुएँ एवं तत्त्व पाये जाते हैं। केवल दूधके ही पीनेसे मनुष्य भली भाँति स्वस्थ हो कर रह सकता है- फिर चावल, आटे आदि किसी पदार्थकी आवश्यकता नहीं रहती । इसके अतिरिक्त रोगियों, बूढ़ों, बालकों और जवानों आदि सभीके लिये एक मात्र पुष्टिकारक द्रव्य दूध ही है । परन्तु ऐसे आवश्यक और उपयोगी पदार्थका प्राप्त होना दिनों दिन दुर्लभ होता जा रहा है । भारतके अर्थशास्त्र-विचक्षण तथा भिन्न भिन्न प्रकारके लेखे तैय्यार करनेवालोंका मत है कि कोई दस या बीस वर्ष के पश्चात् शुद्ध और ताजे दूधका दर्शन ही उठ जायगा । इस बातके ध्यान में आते ही बड़ी गंभीर चिंता उपस्थित होती है। इसमें सन्देह नहीं कि सभ्यताके बढ़ने के साथ ही साथ मजदूरों की मजदूरी और अन्यान्य आवश्यकीय पदार्थों में वृद्धि होती जा रही है । परन्तु भारत में इस समय जो दूधका भाव चढ़ रहा है वह आवश्यकता से अधिक और असामान्य है, पर सामान्य रीति पर चीजोंके दाम चढ़ने के कारण वह महँगा होता मालूम नहीं देता है । क्योंकि इंग्लैण्ड और अमेरिकामें अन्यान्य आवश्यकीय पदार्थ भारतसे दुगुने और तिगुने दामों पर मिलने
1
For Private And Personal Use Only