Book Title: Bharat me Durbhiksha
Author(s): Ganeshdatta Sharma
Publisher: Gandhi Hindi Pustak Bhandar

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Page 256
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुर्भिक्ष । २२७ we cannot help it. If plague spread out in spite of the preventive measures adopted by Government, the Government is helpless. So will poverty femine and plague. We have given you peace, we have given you Railways, what more do you want? We are certainly not responsible for the calamity." " सारांश यह कि अगर ईश्वर जल न बरसावे तो हम इसमें क्या कर सकते । तुम्हें हमने शान्तिसे रहने दिया, रेल दी, अब अधिक क्या चाहते हो ? हम किसीकी आफतके अलबत्ता जिम्मेवार नहीं हैं । यही बात दरिद्रता, दुर्भिक्ष, प्लेग आदि सभीके विषयमें है " आप ही कहिए क्या यही उचित है ? समस्त भमण्डलके देशोंकी शासनप्रणाली उस देशकी उन्नतिका मूल कारण मानी जाती है, फिर क्या भारतमें वैसा ही शासन है जैसा कि होना चाहिए ? यदि सरकार और कुछ नहीं कर सकती है तो कमसे कम शासनमें भी तो सुधार करे, फिर हम देख लेंगे कि दुर्भिक्ष कैसे पड़ते हैं । शासनका उत्तम और लाभदायक प्रबन्ध करना आपका काम है, हमारा नहीं । साम्पत्तिक सवाल हम लोगोंसे हल नहीं होगा, और यदि हमी इन प्रश्नोंको हल करने लग जायें तो फिर सरकार किस लिये है ? यदि हमारे देशमें सुवर्षा हो और रोग-शोक समूल नष्ट हो जायें तो आपकी और डाक्टरोंकी आवश्यकता ही क्या है ? सरकारका कर्तव्य इस प्रकार बेईमानीसे इन्कार करना नहीं, बल्कि उसको दूर कर देशको उन्नत बनाना होना चाहिए । इंग्लैण्डकी ही बात लीजिए, आप जानते ही हैं कि वहाँ अन्नका सदा दुर्मिक्ष For Private And Personal Use Only

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