Book Title: Bharat me Durbhiksha
Author(s): Ganeshdatta Sharma
Publisher: Gandhi Hindi Pustak Bhandar

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Page 277
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ भारतमें दुर्भिक्ष। करते हुए गई। १८६९ के उत्तरीय भारतके दुर्भिक्षमें मृत्यु संख्या, १२,५०,००० थी। १८२७ के दुर्भिक्षमें केवल तीस लाख भारतवासी सरकारी सहायता पाकर जीवित रहे । मोटे हिसाबसे सन् १८९१ से १९०१ ई. तकमें जन-संख्या में अस्सी लाख मनुष्योंकी कमी हुई।" ___ + + + + + __" हिसाब लगा कर देखनेसे मालूम हुआ है कि अकेले भारतसचिव माननीय लार्ड जार्ज हेमिल्टनने जो रुपये वेतनके रूपमें प्राप्त किये थे, वे नब्बे हजार भारतीयोंकी वार्षिक आयके बराबर थे।" + + डिगबी महोदय "भारतवर्षसे प्रति वर्ष प्रायः १६, ५०,००,०००) रु० का गेहूँ और चावल बाहर भेजा जाता है। " + + मि० रसेल "डेढसौ वर्षोंमें अकालसे २,८०,००,००० मनुष्यों के मर जानेका जो अतुलनीय लेखा है, उसका प्रधान कारण भूमिका लगान और जमीनके पहेकी प्रणाली है................जो सबसे निर्बल लोगों पर भारी बोझ डालती है।" For Private And Personal Use Only

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