Book Title: Bharat me Durbhiksha
Author(s): Ganeshdatta Sharma
Publisher: Gandhi Hindi Pustak Bhandar

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Page 284
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिन्दीमें ऐसे भाव-पूर्ण उपन्यास बहुत ही कम हैं । इसमें अशोकका विश्वप्रेम, महात्मा मोग्गली-पुत्र तिष्य और धेष्ठी उपगुप्तकी परहित-साधनकी समुज्ज्वल भावनाएँ, कुमार बीताशोकका भ्रातृप्रेम, प्रमिलाका कारस्थान और इन्दिरा तथा जितेन्द्रका स्वर्गीय प्रेम आदिकी एकसे एक बढ़कर सुधा-स्यन्दिनी, रसभीनी कहानी पढ़ोंगे तब आप मुग्ध हो जायँगे मूल्य २॥)5० कपड़े की जि० ३।) । १७ बलिदान । महाकवि गिरिशचंद्र धोषके एक उत्कृष्ट सामाजिक नाटकका अनुवाद । इसमें वर-विक्रयसे होनेवाली दुर्दशाका चित्र बड़ी कारुणिक भाषामें खींचा गया है, जिसे पढ़ कर आप रो उठेंगे । देशं और जातियोंको हालतसे आपका हृदय त मला उठेगा। सारे हिन्दी-साहित्यमें शायद ही इसके जोड़का कोई नाटक हो। उन लोगोंको भी यह नाटक अवश्य पढ़ना चाहिए जिनमें कन्या-विक्रय जारी है। मू. २० कपड़े की जि. १) -. १८ हिन्दजातिका स्वातन्त्र्य-प्रेम । हिन्दी-साहित्यमें स्वतंत्र लिखी हुई एक उत्कृष्ट पुस्तक । इसमें स्वतंत्रता-प्राप्तिके लिए बलिदान होनेवाली हिन्दूजातिको वीरताका ज्वलंत चित्र खींचा गया है, जिसे पढ़ कर आपका रोम रोम फड़क उठेगा । भाषा बड़ी ओजस्वी है । मू० रु०१), सजिल्द)। १९ चाँदबीबी-( नाटक ) बंगालके प्रख्यात नाटककार श्रीयुत् क्षीरोदप्रसाद विद्याविनोद एम० ए० के वीररस-पूर्ण नाटकका अनुवाद । इसमें बीजा. पुरकी वीरनारी बगम चाँद-सुलतानाकी अद्भुत वीरता और क्षमता, देशके उछरते हुए बालकोंका जन्मभूमिके लिए अपूर्व बलिदान और मराठे वीर रघुजीकी हृदयको हिलादेनेवाली स्वामीभक्ति आदिकी वीर और करुण कहानीको पढ़ कर आपका हृदय भर आयेगा । नाटक भावपूर्ण और बड़ी उत्सुकता बढ़ानेवाला है । मूल्य ११), कपड़ की पक्की जिल्दके १॥1) रु. २० भारतमे दुर्भिक्ष-ले. पं० गणेशदत्त शर्मा । कई पुस्तकों के आधार पर लिखा गया स्वतंत्र ग्रंथ । भारतमें जब अँगरेजोंका राज्य स्थापित नहीं हुआ था तब अन्न, वस्त्र, घी, दूध आदि सभी वस्तुएँ खूब सस्ती-पानीके भाव--थीं; देशमें क्या गरीव, क्या धनी सभी सुखी थे; दुर्भिक्ष, महामार्ग आदिके उपद्रव तब कभी कहीं नाम मात्रको हो जाया करते थे और जबसे For Private And Personal Use Only

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