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भारतमें दुर्मिक्ष । भी खूब हो सकता है । हम सन् १९१० का नहरोंका हिसाब नीचे लिखते हैं:
प्रान्त,
मुनाफा नहरों में लगी पूंजी, सींचा गया रकबा, .
फीसदी
पंजाब और पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त | ११० लाख पाउण्ड ६० लाख एकड़ युक्त प्रदेश और अवध ७६
मदरास
बंगाल और बिहार बम्बई और सिंघ समग्र ब्रिटिश भारत
५८ ४७ ,
ये नहरें पर्याप्त नहीं हैं, अभी देशमें नहरोंकी बड़ी ही आवश्यकता है। सरकारको ऐसे कामको शीघ्र ही और अवश्य ऐसे समयमें कराना चाहिए। भारत-सरकार कर तो सब कुछ सकती है, परन्तु उसे करना अभिष्ट हो तभी न ? क्योंकि वह तो खासा उत्तर रखता है कि:
“We are not responsible for the poverty of the country, we are not responsible for the occurence of famine. If God does not send rain
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