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विदेशी शक्कर।
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विदेशी शकर ।
मारे भोजनकी एक मुख्य वस्तु घृतकी भाँति शक्कर भी है। &.अकबरके समयमें गन्नेकी पवित्र और शुद्ध शक्कर १०) मनके भावसे बाजारोंमें मिला करती थी, वही आज ३०) रु० मनके भावसे अलभ्य सी हो गई है । आजसे दस वर्ष पूर्व ही यहाँ एक रुपयेकी चार सेर शक्कर बखूबी मिलती थी । देखते देखते धीरे धीरे मोरीशस टापूसे एक नवीन प्रकारकी शक्करने भारतमें प्रवेश किया । आरंभमें इस शक्करके कारण भारतमें एक बड़ी खलबली मची, लोगोंने इसे अपवित्र और अस्पृश्य कह कर इसका खूब ही अपमान किया। द्विज लोग इसका सेवन तो दूर रहा छूना भी महापाप समझते थे। लोगोंमें उन दिनों इस शक्करके विषय में कई हास्यजनक किम्बदन्तिया फैल गई थीं-कोई कहता था कि इसमें हड्डीका बारीक चूरा भारतीयोंको धर्मच्युत करने के लिये मिश्रित करके भेजा जाता है; कई कहते थे कि इसमें गौ और शूकरकी हड्डियाँ डाल कर हिन्दू और मुसलमानोंको बेदीन करनेका प्रयत्न किया गया है। किन्तु ये सब बातें एकदम निरी झूठी और लोगोंमें भ्रम पैदा करनेवाली थीं। __ इतनी बातें बनाई जाती थीं, किंतु फिर भी लोगोंने इससे बच. नेका बिलकुल प्रयत्न न किया । धीरे धीरे सबने इसको अपने उदरमें मान देना आरंभ कर दिया । और देव-मंदिरोंमें, देवताओंके भोगमें और धर्मकार्यों में भी इसने स्थान पा लिया । यद्यपि यह बात सर्वथैव
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