Book Title: Bharat me Durbhiksha
Author(s): Ganeshdatta Sharma
Publisher: Gandhi Hindi Pustak Bhandar

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Page 251
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ भारतमे दुर्मिक्ष। (११) उत्तर भारतीय दुर्भिक्ष सन् १८३७ । कानपुर, फतहपुर और आगरा आदि स्थानोंमें मुदाके फेंकनेका खास प्रबन्ध करना पड़ा कि जो लाशें सड़कों पर पड़ी हों वे तुरन्त फेंक दी जायें। कभी कभी इतने मनुष्य मर जाते थे कि लाशें सड़कों पर ही पड़ी रह जाती थीं और उन्हें जंगली जानवर आकर खाते थे । आठ लाख भारतवासी कालके गालमें गये । (१२) मद्रासका अकाल सन् १८५४ । नौ महीने तक Relief work चलते रहा। (१) उत्तरीय भारतका दुर्भिक्ष सन् १८६० । पैंतीस हजार मनुष्योंको Relief work द्वारा और अस्सी हजारको खैराती मदद नौ महीनों तक मिलो। तो भी दो लाख भादमी मरे। (१४) उड़ीसाका दुर्भिक्ष सन् १८६६ । ४२ हजार मनुष्योंकी, १६ महीने तक सहायता की गई, तो भी ४२ लाख आदमी मर गये । सरकारने दो लाख अस्सी हजार मन अन्न पहुँचाया तो भी उड़ीसामें दस लाख आदमी मरे । (१५) उत्तर भारतका दुर्भिक्ष सन् १८६९ । पैंसठ हजार आदमी Relief work पर काम करते रहे और १८ हजारको खैराती सहायता दी गई । इतने पर भी बारह लाख आदमी मृत्युके ग्रास हुए। (१६) बंगाल का अकाल सन् १८७४ । For Private And Personal Use Only

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