________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कुछ और भी।
१८९ And the memory haunts and haunts them, Of an evil black as hell. They are dying, dying, dying, Unblest, unloved, unknown, Ah, God in heaven in heaven, Make their dumb cry thine own." क्या ही करुणा-जनक दशा है । हाय हमारे भोले भोले भारतीय भाई भूखों मरते, जीवित नरकमें पड़े यम-यातनासे कठोर दुःख उठा रहे हैं । क्या हमें इस बातका पता है कि वे क्यों इस भौति दुःख सह रहे हैं ! हा, वे बेचारे भयंकर दुर्भिक्ष और दरिद्रके कारण ही जीवित नरकमें हैं। __ भूखों मरते भारतवासियोंने अपना गौरव खो दिया, स्वतंत्रता खो दी. आत्मबलको तिलांजली दे दी, दासत्वको अपना लिया, जिनकी छायाके स्पर्शसे हमारे पूर्वजोंने स्नान किया उन्हीं ऋषियोंकी सन्तानोंने आज उन्हीं लोगोंकी जूतिया खाकर भी " हैं। हजूर " कहना अपने जीवनका एक मात्र उद्देश्य समझ रखा है। __ वह ईश्वरकी प्यारी ब्राह्मण जाति भी ठोकरें खाने लगी । जिनकी चरण-रजसे लोगोंने क्या चक्रवर्ती राजाओंने अपने मस्तकको अभिषिक्त कर अपनेको पवित्र किया, उन्हीं अग्रजन्मा भूसुरोंकी भूखों मरते दुर्भिक्षके कारण कैसी अधोगति हो गई ! बिना बुलाये, अपमानित होने पर भी, भोजन-प्राप्तिके लिये, अपनेसे नीच वर्णके लोगोंके द्वार पर वे आशा लगाये अड़े रहते हैं । कई तो सिर फोड़ कर खून निकाल कर अपने पेटकी ज्वाला शांत करनेको अन्न प्राप्त करते हैं।
For Private And Personal Use Only