________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पशु-धन । परन्तु आज ३१३ करोड़ मनुष्योंमें केवल चार करोड़ गौ-बल हैं ! अर्थात् आठ मनुष्योंके हिस्से में एक पशु आता है । सभी गौएँ नहीं हैं। इन चार करोड़में बैल भी शामिल हैं । किन्तु यदि बैलोंके स्थान पर भैसें मान ली जावें तो सभी लगातार दूध नहीं देतीं; साल भरमें औसत नौ महीने दूध देती हैं। सारांश यह कि ३१३ करोड़ भारतीय केवल ३ करोड दुधारू पशुओं पर अपना निर्वाह करते हैं। अर्थात् औसत १० मनुष्योंमें एक दुधारू पशु है । यदि ३ सेर दूध नित्यका समझ लिया जाये तो पाँच छटाँक दूध प्रत्येक आदमीके हिस्सेमें आता है । इसे चाहे वह पीले, चाहे दही बना ले, अथवा घी निकाल ले । कहिए तब किस प्रकार भारत बलवान् हो सकता है ? जिस देशमें पुष्टिकारक पदार्थ खानेको नहीं वह देश क्यों कर बलवान् हो सकता है! गो-वंशके नाशके साथ-ही-साथ हमारा बल भी नष्ट हो गया। हम नीचे एक नकशा देकर यह दिखलाना चाहते हैं कि किस देश के पास कितना पशु धन है। किंतु स्मरण रखिए यह गणना सन् १९०६-७ की है
देश, घोड़े, गाय-बैल, भेड़, बकरी, सुअर ! इंग्लैण्ड २० लाख, ११६ लाख, ३०० लाख, + लाख, ३९लाख आस्टेलिया १८ , १०० , ८६२ , + , ७" कनाड़ा १५ , ५५ , २५ " + , २३ , फ्रांस ३१ ,, १६९ ,, १७४ , १४ ,, ७० ; जर्मनी १३ १ २०५ , ७६ ,, ३५ ,, २२० । जापान १४ ,, ११ , + ,, + ,, २ . अमेरिका १९७, ७२५ , ५३२ ,, ,,५४७ भारत १५ , १११७ ,, २२ हजार २८५,, + :
For Private And Personal Use Only