________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पशु-धन ।
समय ऐसा कठिन आ गया है, और दूधकी माँग इतनी बढ़ी हुई है कि अब दूधके व्यापारको जाहिल और लाल ची ग्वालोंके हाथमें रख छोड़ना कदापि उचित नहीं है । हमें अब उठ कर होशियार हो जाना चाहिए और अपने नवयुवाओंको इस व्यापारकी ओर प्रवृत्त करना चाहिए । क्योंकि इसमें पूजी भी कम लगती है और शिक्षाकी भी बहुत कम जरूरत है। नहीं तो यह होगा कि जैसे अन्यान्य व्यवसायोंको यूरोपियन व्यापारियोंने रुपया लगा कर अपने हाथमें कर लिया उसी तरह इस व्यापारको भी वे अपने अधीन कर लेंगे।
अब हमें यह देखना चाहिए कि एक गायके लिये कितनी पूँजीकी आवश्यकता है ? उसके दूधसे कितनी आमदनी होगी और उसके खिलाने पिलाने में कितना खर्च पड़ेगा। ___ मान लीजिए एक देहाती गाय पाँच सेर दूध नित्य प्रति देती है। इस पाँच सेरवाली गायका मूल्य १००) और ९०)के बीचमें होगा। चार आने सेरके हिसाबसे उसका ५ सेर दूध ११) रु० नित्यकी हुआ। अब जरा नित्यका खर्चा जोडिए । दो पैसे प्रति सेरके हिसाबसे ३ सेर भूसा छः पैसेका हुआ, एक आने सेरवाली खली आधा सेर दो पैसे की हुई और भूसी-चोकर इत्यादि दो आने रोजकी मान लीजिए, अत एव सारा खर्च मिला कर ।) आने रोज हुआ। इस प्रकार खालिस आमदनी १) रु० रोजकी हुई । सुतरां एक महीनेकी ३० ) रु० आमदनी हुई, जो कि एक सामान्य ग्रेज्यूएट स्कूल के शिक्षक या किसी दफ्तरके हेडक्लर्ककी मासिक आयके बराबर है।
एक बात यहाँ पर यह कह देना है कि ऊपरके आमदनी और खर्चके लेखेमें, गौशालाका किराया, नौकरोंका वेतन, दूधकी बिक्रीकी
For Private And Personal Use Only