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भारतमें दुर्भिक्ष ।
-मातृभाषा अँगरेजी है, अतः वह बोल लेता है, परन्तु लिखते समय 'Ink' को 'Inc' लिखेगा। इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि विलायती मजदूर महँगे मिलते हैं । अस्तु अब हम भारतके कारखानोंकी सूचीमें प्रान्तोंके अनुसार यह दिखलावेंगे कि भारतवासियोंके हाथमें भारतका व्यापार है, या विदेशियोंके हाथमें ?
प्रान्त, भारतीयोंके हाथमें, विदेशियोंके हाथमें । बङ्गाल १४४ कारखाने ४३७ कारखाने बिहार ओड़ीसा १७० संयुक्त प्रान्त १०४६
१७८ बंबई ४४२
६१८ मद्रास ५३
१२४ ॥ पञ्जाब २२ ,
२५ , अजमेर। मारवाड़ । आसाम ।
६०
५६५
मैसोर
जहाँ आप भारतीयों के हाथमें कारखानोंको अधिक संख्या देख कर प्रसन्न होते हैं, वह प्रसन्नता प्रकट करनेका स्थल नहीं है । क्योंकि उस संख्याको छापेखाने, कोयले और रुईके कारखानोंने बढ़ा दिया है । भारतीय अधिकांश ऐसे ही कारखानोंके स्वामी हैं, किन्तु बढ़िया वढ़िया सारे कारखानोंके स्वामी विदेशी सज्जन ही हैं। भारतवर्ष कम्पनियोंके लिहाजसे बहुत पीछे है । अन्य देशोंके सम्मुख हमारे देशको अपना मस्तक ऊँचा करनेका सौभाग्य प्राप्त नहीं है । यों तो हमारा देश कम्पनियोंका भंडार है । जिसके पास ४ जोड़ी
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