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१८
भारत में दुर्भिक्ष |
ई० में सरकारने सर टी० एच० हालैंडके सभापतित्व में औद्योगिक कमीशन बैठा कर उसके सामने यह प्रश्न रक्खे:
( अ ) क्या व्यवसाय अथवा उद्योग-धन्धों में भारतीय पूँजीके उपयोगके नये लाभदायक मार्ग बतलाए जा सकते हैं ?
( ब ) क्या औद्योगिक उत्थान में सरकार लाभ - पूर्वक सहायता दे सकती है ? यदि ऐसा है, तो किस प्रकारसे :
( १ ) वैज्ञानिक परामर्शके द्वारा ?
(२) विशेष विशेष उद्योग-धन्धोंको व्यापारिक ढंग पर चलाने योग्य दिखला कर !
( ३ ) आर्थिक सहायता, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रीति से पहुँचा
कर ?
( ४ ) या अन्य किसी रीतिसे जो सरकारकी वर्तमान नीति के विरुद्ध न हो ?
कमीशन को सरकारकी व्यापार नीति पर विचार करनेका अधिकार नहीं था । यद्यपि कमीशन की रिपोर्ट विम्बसे निकली है और उसके लिये उत्सुकता भी बहुत थी कि जिससे युद्धका अवसर हाथसे न निकलने पावे; परन्तु कार्य बड़ा था । तथा कमीशन के प्रस्तावों को कार्य रूपमें परिणत करने के लिये अब भी बड़ा अच्छा अवसर है ।
औषधि बतलाने के पूर्व निदानकी आवश्यकता होती है । भारतवर्षकी औद्योगिक अवस्था इतनी हीन क्यों है ? इसके कमीशनने ये कारण निश्चित किये हैं:
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( १ ) कोई समय ऐसा अवश्य था जब भारतवर्ष के उद्योग-धंधे उन्नति के शिखर पर थे । उस समय यूरोप - निवासी असभ्य थे । सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में भी जब यूरोपीय जातियाँ यहाँ
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