SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतमें दुर्भिक्ष । -मातृभाषा अँगरेजी है, अतः वह बोल लेता है, परन्तु लिखते समय 'Ink' को 'Inc' लिखेगा। इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि विलायती मजदूर महँगे मिलते हैं । अस्तु अब हम भारतके कारखानोंकी सूचीमें प्रान्तोंके अनुसार यह दिखलावेंगे कि भारतवासियोंके हाथमें भारतका व्यापार है, या विदेशियोंके हाथमें ? प्रान्त, भारतीयोंके हाथमें, विदेशियोंके हाथमें । बङ्गाल १४४ कारखाने ४३७ कारखाने बिहार ओड़ीसा १७० संयुक्त प्रान्त १०४६ १७८ बंबई ४४२ ६१८ मद्रास ५३ १२४ ॥ पञ्जाब २२ , २५ , अजमेर। मारवाड़ । आसाम । ६० ५६५ मैसोर जहाँ आप भारतीयों के हाथमें कारखानोंको अधिक संख्या देख कर प्रसन्न होते हैं, वह प्रसन्नता प्रकट करनेका स्थल नहीं है । क्योंकि उस संख्याको छापेखाने, कोयले और रुईके कारखानोंने बढ़ा दिया है । भारतीय अधिकांश ऐसे ही कारखानोंके स्वामी हैं, किन्तु बढ़िया वढ़िया सारे कारखानोंके स्वामी विदेशी सज्जन ही हैं। भारतवर्ष कम्पनियोंके लिहाजसे बहुत पीछे है । अन्य देशोंके सम्मुख हमारे देशको अपना मस्तक ऊँचा करनेका सौभाग्य प्राप्त नहीं है । यों तो हमारा देश कम्पनियोंका भंडार है । जिसके पास ४ जोड़ी For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy