Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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(२८)
भारत-भैषज्य रत्नाकर
अथ अकारादिगुटिका प्रकरणम्
गुटिका व्याख्या औषधियोंके महीन चूर्णको मधु, गुड़, खांड आदि चाशनीमें मिलाकर अथवा औषधियोंको जल स्वरस या काथ आदिमें पीसकर या पाक करके जो गोलियां बनाई जाती हैं उन्हें गुटिका कहते हैं
वटको मोदकः पिण्डी गुडो वर्तिस्तथा वटी। . वटिका गुडिका चेति संज्ञावान्तर भेदतः॥ वटक, मोदक, पिण्डी, गुड़, वर्ति, वटी और वटिका तथा गुटिका यह सब एक ही प्रकारकी बनाघट है, केवल आकार और परिमाणमें भेद होता है। इनमें प्रधान भाग काष्ठौषधियोंका ही होता है।
भावनाविधिद्रवेण यावता द्रव्यमेकीभूयाद्रतां ब्रजेत् । तावत् प्रमाणं कर्तव्य मिषभिर्भावना विधौ ॥ भाव्यद्रव्यसमं काथ्यं काथ्यादष्टगुणं जलम् ।
अष्टांशशोषितः क्वाथो भाज्यानां तेन भाषना ॥ जितने द्रव पदार्थसे औषधि अच्छी तरह भीग जाय उतना ही द्रव पदार्थ लेकर भावना देनी चाहिये । अथवा जिस चीज़के काथसे भावना देनी हो वह भाव्य (जिसे भावना देनी हो) द्रव्यके बराबर लेकर आठ गुने पानी में पकावे और आठवां भाग शेष रहने पर छानकर उससे भावना दे।
यदि गोलियोंको धूपमें सुखानेके लिये लिखा हो तो धूपमें और छायामें सुखानेके लिये लिखा हो तो छायामें ही सुखाना चाहिये, क्योंकि धूप. और छांवके प्रभावसे भी दवाके गुणमें अन्तर पड़ जाता है।
गोलियों पर वर्क चढाना यदि गोलियों पर सोने चांदी आदिके वर्क चढ़ाने हों तो पहिले उन्हें मुगलई बेदानेके लुआबमें अच्छी तरह तर करलें, फिर उनपर सोने या चांदी के (जैसी आवश्यकता हो ) वर्क डालकर हाथसे मलदें और फिर चीनीके चौड़े मुंह वाले वर्तनमें डालकर तेजी के साथ उस वर्तनको गोल दायरेमें घुमाना चाहिये (जिस प्रकार चक्की पीसते हैं) इस क्रियासे गोलियां सुन्दर हो जाती हैं।
सेवन करते समय गोलियोंको पीसकर अनुपानके साथ मिलाकर सेवन किया जाय तो जल्दी असर होता है। धात्रीलोह आदि कितनी ही कटिन गोलियां तो साबित निगल जानेसे दस्तके साथ ज्यों की त्यों बाहर निकल जाती है अतएव कठिन गोलियोंको बिना पीसे न सेवन करना चाहिये।
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