Book Title: Bhagwan Mahavir Ki Acharya Parampara
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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જયદેવ
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भगवती आराधनामें बताई गई मुनिराजके समाधिमरणके समय अन्य मुनिराज द्वारा वैयावृत्त्य
आराध्य है, निर्मल परिणामवाले भव्यजीव आराधक हैं, जिन उपायोंसे रत्नत्रयकी प्राप्ति होती है वह उपाय आराधना है, व उसके फलस्वरूप स्वर्ग-मोक्षकी प्राप्ति वह आराधनाका फल
है।
इस ग्रंथ में १७ प्रकारके मरणका स्वरूप बताकर उनमें पंडितमरण, पंडितपंडितमरण, व बालपंडितमरण श्रेष्ठ बताये हैं । आपने सल्लेखना, समाधिमरणका तो बहुत विस्तृत सुंदर भाववाही वर्णन किया है, वह वर्णन अपने आपमें अनूठा है।
आपकी रचनाकी भाषा आदिसे कुछ इतिहासकारोंके मतानुसार आप तत्त्वार्थसूत्र आदि ग्रंथोंकी रचनाओंके पूर्ववर्ती आचार्य थे।
आपका काल इसकी प्रथम शताब्दीका प्रथमपाद माना जाता है ।
आचार्यदेव शिवार्य भगवंतको कोटि कोटि वंदन ।
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