Book Title: Bhagwan Mahavir Ki Acharya Parampara
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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भगवान आचार्यदेव श्री माघनन्दि
आचार्य अर्हद्बल द्वारा पंचवर्षीय युग-प्रतिक्रमणके समय मुनिसंघमें एकत्वकी भावना स्थायी बनी रहे, इस हेतु नन्दि, गुणधर, सेन, गुप्त आदि विविध गण स्थापित हुए । आचार्य अर्हलि द्वारा उक्त विविध संघोकी स्थापनाके समय आचार्य माघनन्दि मुनियोंमें श्रेष्ठ थे, क्योंकि आप पूर्वधर (पूर्वोके ज्ञाता अर्थात् अंगांशधारी) तथा अनहद ज्ञानी होते हुए भी आप बड़े तपस्वी थे। इस बातकी परीक्षाके लिए गुरु अर्हद्बलिके आदेश अनुसार एकबार आपने नन्दिवृक्ष (जो छायाहीन होता है ) के नीचे वर्षायोग धारण किया था । इसीसे इनको तथा इनके संघको 'नन्दि' की संज्ञा प्राप्त हो गई थी । नन्दिसंघकी पट्टावलीमें आपका नाम भद्रबाहु तथा गुप्तगुप्त (अर्हद्वलि) को नमस्कार करनेके पश्चात् सबसे पहले आता है और आपका काल पट्टावलीमें वी.नि. ५७५ से प्रारंभ किया गया है, इसलिए अनुमान होता है, कि उक्त घटना इसी कालमें घटी थी और उसी समय आचार्य अर्हद्बलिके द्वारा स्थापित इस संघका आद्य पद आपको प्राप्त हुआ था। नन्दि, सेन, पंचस्तूप, गुणधर, पुन्नाट, सिंह आदि नामोंसे भिन्नभिन्न संघ स्थापित करने पर भी उसमें नन्दिसंघका स्थान सर्वोपरि समझा जाता है। जिनधर्मके मुख्य प्रवाहमें नन्दिसंघकी ही परंपरा अभी तक मुख्यरूपसे चल रही है।
नन्दिसंघकी संस्कृत गुर्वावलीमें भी माघनन्दिका नाम आया है। इस पट्टावलीके प्रारंभ में भद्रबाहु और उनके शिष्य गुप्तिगुप्त ( अर्हद्बलि) को वंदना की गई है, किंतु उनके नामके साथ संघ आदिका उल्लेख नहीं किया गया है। उनकी वन्दनाके पश्चात् मूलसंघमें नन्दिसंघ बलात्कारगणके उत्पन्न होनेके साथ ही माघनन्दिका उल्लेख किया गया है। संभव है कि संघभेदके विधाता अर्हद्वलि आचार्यने उन्हें ही नन्दिसंघका अग्रणी बनाया हो । उनके नामके साथ ' नन्दि' पद होनेसे भी आपका इस गणके साथ संबंध प्रकट होता है ।
आचार्य माघनन्दिका उल्लेख 'जंबूदीपपण्णत्ति' के कर्ता आचार्य पद्मनंदिने भी किया है और उन्हें राग, द्वेष और मोहसे रहित, श्रुतसागरके पारगामी, 'मति - वल्लभ, तप और संयमसे सम्पन्न तथा विख्यात कहा है।
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आचार्य माघनन्दि सिद्धान्तवेदीके संबंध में एक कथानक भी प्रचलित है। कहा जाता है, चतुर, होंशियार, हाजिरजवाबी, प्रत्युत्पन्नमति, प्रतिभाशाली, बुद्धिवाला, निःसंकोच बोलनेवाला, गंभीर मतिवाला |
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