Book Title: Bhagwan Mahavir Ki Acharya Parampara
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
View full book text
________________
भगवान आचार्यदेव श्री पात्रकेसरी या पात्रस्वामी
कवि और दार्शनिकके रूपमें पात्रकेसरीका नाम प्रसिद्ध है। आपका यश आचार्य जिनसेनस्वामी आदि पश्चात्वर्ती आचार्योंके हृदयमें अत्यधिक था।
पात्रकेसरीका जन्म उच्चकुलीन ब्राह्मण वंशमें हुआ था। सम्भवतः वे किसी राजाके महा-अमात्यपदपर प्रतिष्ठित थे। ब्राह्मण समाजमें आपकी बड़ी प्रतिष्ठा थी। आराधनाकोषमें लिखा है- 'अहिच्छत्रके अवनिपाल राजाके राज्यमें ५०० ब्राह्मण रहते थे। इनमें पात्रकेसरी
सबसे प्रमुख थे।' इस नगरमें तीर्थंकर पार्श्वनाथका एक विशाल चैत्यालय था। पात्रकेसरी ७) प्रतिदिन उस चैत्यालयमें जाया करते थे। एक दिन वहाँ आपने चारित्रभूषण मुनिके मुखसे
khan
PASIA
IMIRMIRMIRMA
15
उच्चकुलीन ब्राह्मण पात्रकेसरी राजाके अमात्यपद पर
(106)