Book Title: Bhagwan Mahavir Ki Acharya Parampara
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 235
________________ क्रम शास्त्रका नाम आचार्यका नाम १६३ ५४ जैनेन्द्रव्याकरण जैनेन्द्रव्याकरण टीका ज्ञानदीपक ज्ञानार्णव ज्योतिषपटल ज्वालामालिनी तत्त्वसार तत्त्वानुशासन तत्त्वानुशासन तत्त्वार्थ टीका तत्त्वार्थवार्तिक ६५ तत्त्वार्थवृत्तिपद-विवरण ६६ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार तत्त्वार्थसार ६८ तत्त्वार्थसूत्र तत्त्वार्थसूत्र ७० तत्त्वार्थसूत्र टीका तत्त्वार्थसूत्र टीका ७२ तत्त्वार्थसूत्र टीका ७३ तत्त्वार्थसूत्र टीका तत्त्वार्थवृत्ति(तत्त्वार्थसूत्र टीका) त्रिलक्षणवर्धन त्रिलोकसार त्रिवर्ग महेन्द्रभतलिसंजल्प त्रिस्कंधात्मज्योतिष दर्शनपाहुड दर्शनसार दसभक्ति १६१ आचार्यपद समय(ई.स.में) पृष्ठ पांचवीं शताब्दी १०२ ९३०-९५० ११वीं शताब्दी २०१ १००३-१०६८ १९१ ८००-८३० १४८ ९३९ १६५ ९३३-९५५ १६४ १३८-१८५ ९१ ११वीं शताब्दी १९६ छठवीं शताब्दी १०५ ६२०-६८४ १२२ ९५०-१०२० १७३ ७७६-८४० १४५ ९०५-९५५ सातवीं शताब्दी ११६ १७९-२४३ १३८-१८५ ९१ ६२०-६८५ १२२ ७७६-८४० १४५ ९३०-९५० १६३ पांचवीं शताब्दी १०२ ६-७वीं शताब्दी १०८ ९८१ १८० ९४३-९६८ १६७ ६-७वीं शताब्दी १०९ १२७-१७९ ९३३-९५५ १६४ पांचवीं शताब्दी १०२ पूज्यपादस्वामी अभयनंदि सि.च. ब्रह्मदेवजी शुभचंद्र महावीरदेव इन्द्रनंदि आचार्य देवसेनाचार्य समंतभद्रस्वामी रामसेनाचार्य योगीन्दुदेव अकलंक आचार्य प्रभाचंद्र-४ विद्यानंदस्वामी अमृतचंद्रस्वामी प्रभाचंद्र द्वितीय उमास्वामी समंतभद्रस्वामी अकलंक आचार्य विद्यानंदस्वामी अभयनंदि सि.च. पूज्यपादस्वामी पात्रकेसरी नेमिचंद्र सि.च. सोमदेवसूरि ऋषिपुत्र कुंदकुंदाचार्यदेव देवसेनाचार्य पूज्यपादस्वामी ९८ ७७ ८० (218)

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