Book Title: Bhagwan Mahavir Ki Acharya Parampara
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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भगवान आचार्यदेव श्री सोमदेवसूरि
आचार्य सोमदेव महान तार्किक, उत्तम साहित्यकार व कुशल राजनीतिज्ञ, प्रबुद्ध तत्त्वचिंतक व उच्चकोटिके धर्माचार्य थे। आपके लिए विशेष विशेषण प्रसिद्ध हैं जैसे : स्याद्वादाचलसिंह, तार्किक चक्रवर्ती, वादीभपञ्चानन, वाक्कल्लोलपयोनिधि, कविकुलराजकुंवर, अनवधगद्य-पद्यविद्याधर चक्रवर्ती। ये विशेषण आपकी उत्कृष्ट प्रज्ञा व प्रभावकारी व्यक्तित्वके द्योतक हैं।
आप आचार्य यशोदेवके प्रशिष्य, आचार्य नेमिदेवके शिष्य व आचार्य महेन्द्रदेवके लघु सधर्मा थे। आप कर्णाटक देशमें चालुक्य राजके पुत्र वाद्यराजसे रक्षित थे। आप जिनके प्रशिष्य थे, वे आचार्य यशोदेवको तो देवसंघका तिलक कहा गया है। आपके गुरु अनेक महावादियोंके विजेता थे।
उस समयके राष्ट्रकूट जो पश्चिमके अरब राज्यों तकमें व्याप्त था—ऐसे राष्ट्रकूटोंके अभ्युदयका आचार्य सोमदेवजीने अपने साहित्यमें सुंदर परिचय दिया है।
___ आपके 'नीतिवाक्यामृत' व 'यशस्तिलक चम्पू से ज्ञात होता है, कि आपका संबंध कान्यकुब्ज नरेश महेन्द्रदेवसे रहा है व 'नीतिवाक्यामृत' ग्रंथ महेन्द्रदेवके आग्रहसे ही रचा गया है। यह ग्रंथ कौटिल्यके अर्थशास्त्रकी भांति अर्थशास्त्रका उत्कृष्ट ग्रंथ है।
आचार्यश्रीकी तीन रचनाएँ : १. नीतिवाक्यामृत, २. यशस्तिलक चम्पू, ३. अध्यात्मतरंगिणी। इसके अतिरिक्त (१) युक्तिचिन्तामणि स्तव, (२) त्रिवर्ग महेन्द्रभातलिसंजल्प, (३) षण्णवतिप्रकरण व (४) स्याद्वादोपनिषद आदि भी आपकी रचना गिनी जाती है।
आप ई.सन् ९४३-९६८के अर्थात् ईसाकी दसवीं शताब्दीके आचार्य थे। आचार्य भगवंत श्री सोमदेवसूरिको कोटि कोटि वंदन।
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