Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका. सू. १०८ सूर्याभदेवस्य पूर्व भवजीवप्रदेशिराजवर्णनम् ५७ इति वा गिरिमह इति वा दरीमह इति वा अवटमह इति वा नदीमह इति वा सरोमह इति वा सागरमह इति वा, यत्खलु इमे बहव उग्रा उग्रपुत्रा भोगा भोगपुत्रा राजन्याः इक्ष्वाकवो ज्ञाताः कौरव्याः यथा औषपाति के तथैव इन्द्र को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या स्कन्द को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या रुद्र को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या मुकुन्द को निमित्त करके उत्सब हो रहा है, या वैश्रवण को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या नाग को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या भूतको निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या यक्ष को निमित्त करके उत्सव हो रहा है (थूभमहेइ वा, चेइयमहेइ वा, रुक्खमहेइ वा, गिरिमहेइ वा, दरिमहेइ वा, अगडमहेइ वा, नईमहेइ वा, सरमहेइ वा, सागरमहेइ वा) या किसी स्तूप को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या किसी चैत्य-उद्यान को निमित्त करसे उत्सव हो रहा है, या किसी वृक्ष को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या किसी पर्वत को निमित्त करके उत्सव हो रहा है या किसी गुफा को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या किसी-- अवट-कूप को लेकर के उत्सव हो रहा है, या किसी नदी को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या किसी तालाव को निमित्त करके उत्सव हो रहा है, या किसी समुद्र को निमित्त करके उत्सव हो रहा है ? (जे ण इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता, भोगा भोगपुत्ता, राइन्ना, रक्खगा, णाया, कोरव्वा, શું આજે શ્રાવસ્તી નગરીમાં ઈન્દ્રના નિમિત્ત કેઈ ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, સ્કંદના નિમિત્ત ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે રુદ્રના નિમિત્તે ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે મુકુન્દના નિમિત્તે કઈ ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે વૈશ્રવણના નિમિત્તે કઈ ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે નાગ નિમિત્તે ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે ભૂતના નિમિત્તે आ5 Sत्स4 Sorqा रह्यो छ ॐ यक्षना निमित्त उत्सव वा यो छे. (थभमहेइ वा, चेइयमहेइ वा, रुक्खमहेइ वा, गिरिमहेइ वा, दरिमहेइ वा, अगड. महेइ वा, नईमहेइ वा, सरम हेइ वा. सागामहेइ वा) आध स्तूपना निमित्त ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે ચૈત્યના નિમિત્ત ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, વૃક્ષના નિમિતે ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે પર્વતના નિમિત્ત ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે કે ગુફાના નિમિત્ત ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે કોઈ–અવકૃપના નિમિતે ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે કઈ નદીના નિમિતે ઉત્સવ ઉજવાઈ રહ્યો છે, કે તળાવના નિમિતે ઉત્સવ Gorq४ २wो छ, ॐ समुद्रना निभित्ते वा २wो छ ? (जे णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता. भोगा भोगपुत्ता, राइन्ना, रक्खगा, णाया, कोरव्वा, जहा
શ્રી રાજપ્રશ્રીય સૂત્ર: ૦૨.