Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका सू. १३६ सूर्याभदेवस्य पूर्व भवजीवप्रदेशिराजवर्णनम्
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छाया - ततःखलु केशी कुमारश्रमणः प्रदेशिनं राजानमेवमवादीत् - सा यथानामक कूटाकारशाला स्यात् द्विधातो लिप्ता गुप्ता गुप्तद्वारा निवातगम्भीरा, अय खलु कचित् पुरुषः भेरीं च दण्डं च गृहीत्वा कूटाऽऽकारशालायामन्तरन्तः अनुः प्रविशति तस्याः कूटाऽऽकारशालायाः सर्वतः समन्तात् घननिचितनिरन्तर निश्छिद्राणि द्वारवदनानि पिदधाति, तस्याः कूटाऽऽकार
'तरणं केसी कुमारसमणे' इत्यादि ।
सूत्रार्थ - (तणं केसीकुमारसमणे) इसके बाद केशीकुमार श्रमणने ( प एसिं रायं एवं वयासी) प्रदेशी राजा से ऐसा कहा (से जहा नामए कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुप्त दुबारा णिवायगंभीर ) हे प्रदेशिन | जैसे कोई एक कूटाकारशाला हो पर्वत की शिखर जैसी आकृति - वाला भवन हो और वह भीतर बाहर में आच्छादित हो, आच्छादित द्वार प्रदेशवालीहो, निवात गंभीर हो वायुहित होती हुई गंभीर अन्तः प्रदेशवाली हो (अहणं केइपुरिसे भेरिं च दंडं च गहाय कूडागारसाला तो अणुष्पविसइ) अब कोई पुरुष भेरी और दंडे को लेकर उस कूटाकारशाला के भीतर घुस जाता है, (तीसेकूडागा रसालाए सव्वओ समता घणनिचिय निरंतरणिच्छिड्डाइ दुवारarणाइ पिइ ) और घुसकर वह उसके दरवाजों को चारों तरफ से इस तरह से बन्दकर लेता है कि जिससे उनके किबाड आपस में बिलकुल सट जाते हैं थोडा सा भी अन्तर उनमें नहीं रहता है. छिद्र उनके बन्द हो जाते हैं,
' तरणं केसी कुमारसमणे' इत्यादि ।
सूत्रार्थ - (तए णं केसी कुमारसमणे) त्यार पछी देशी ( प रा एवं वयासी) अदेशी रामने भी प्रमाणे उधुं ( से कूडागारसाला सिया दुहओ लिता गुत्ता - गुत्तदुबारा હે પ્રદેશિન્ ! જેમ કોઇ એક ફૂટાકારશાળા હોય પર્વતના આકાર જેવુ ભવન હોય અને તે બહાર અને અંદરના ભાગમાં આચ્છાદિત દ્વાર પ્રદેશયુકત હોય, નિવાત गंभीर होय - पवन रहित तेमन गंभीर अंतः प्रदेश युक्त होय, ( अह णं केइ पुरिसे भेरि च दंडं च गहाय कूडागारसालाए अंतो अणुष्पविसइ) हवे हैं। पुरुष लेरी रमने हुंडाने सहने ते छूटाभर शाणाभां पेसी लय छे. (ती से कूडागारसाला सवओ समंता घणनिचियनिरंतर निच्छिलाई दुवारवयणाई' पिइ) भने पेसीने ते अधा द्वारीने या प्रमाणे ખારણાના કમાડો એકદમ અડીને ખંધ થઇ જાય છે.
શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૨
कुमार श्रमाणे जहा नामए शिवाय गंभीरा)
घरी से छे भेथी तेभना તેમની વચ્ચે થોડું પણ એના