Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका सु. १२५ सूर्याभदेवस्य पूर्व भवजीव प्रदेशिराजवर्णनम्
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रश्मी दिनकरे तेजसा ज्वलति स्वाद गृहाद् निर्गच्छति, यत्रैव प्रदेशिनो राज्ञो गृह यत्र प्रदेशी राजा तत्रैवोपागच्छति प्रदेशिन राजानं करतलयावत् कृत्वा जयेन विजयेन वर्धयति, एवमवादीत् एवं खलु देवानुभियानां कम्बोजेषु चत्वारोऽश्वा उपनयम् उपनीता, ते च मया देवानुप्रियेभ्यः अन्यदाचैव विनयिताः तद् एत खलु स्वामिन् ! तान् अश्वान् आत्मर्द्धिकान् पश्यत । ततः खलु स प्रदेशी राजा चित्र सारथिम् एवमवादीत्- - गच्छ खलु रस्सिम्मि दियरे तेयसा जलते साओ गिहाओ णिग्गच्छर) एवं सहस्रकि रणों वाला सूर्य जब अपने तेज से चमकने लगा-अपने घर से निकला ( जेणेत्र पए सिस्स रणो गिहे जेणेत्र पएसी राया. तेणेव उवागच्छ३) निकल कर वह वहां गया जहां प्रदेशी राजा का गृह था और उसमें भी जहां वह प्रदेशो राजा था ( पर्सि राय करयल जाव कडे जएण विजएण बद्धावेइ) वहाँ जाकर उसने प्रदेशी राजा को दोनों हाथ जोडकर बडे विनय के साथ प्रणाम किया और जय विजय शब्दों का उच्चारण करते हुए उसे बधाई दी ( एवं वयासी) बधाई देकर फिर उसने उससे ऐसा कहा - ( एवं खलु देवाणुपियाण कंबोएहिं चत्तारि आमा उवणयं उवणीया) कम्बो जदेशवासियोंने चार घोडे भेंटरूप में आप देवानुप्रिय के लिये भेजे थे (ते यम देवाणुपिया अण्ण या चेत्र विणइया) उन्हे मैंने आपके लिये विनीत उसी दिन बना दिया है। अर्थात् शिक्षित कर दिया है ( त एह ण सामी त आसे आईए पामह) अतः आप आईये और स्वकीयमशस्तगति आदि तेयसा जलते साओ गिड़ाओ णिग्गच्छ) भने सहन रिशेोवाणी सूर्य भयारे पोताना तेन्थी अाशित थवा साग्या. पोताना घरेथी नीज्यो. ( जेणेव पएसिस्स रोगिहे जेणेव पएसी राया, तेणेव उवागच्छा) नीणीने ते भ्यां प्रदेशी शन्ननुं गृह हुतु अने तेमां पशुभ्यां ते प्रदेशी शब्न हतो त्यां गये. (एम रायं करयल जान कहु जएणं विजएण बद्धा वेइ) त्यांने तेथे प्रदेशी राजने બન્ને હાથ જોડીને નમ્રતાપૂર્વક પ્રણામ કર્યાં અને જયવિજયના શબ્દનું ઉચ્ચારણ उरीने तेने वधाभागी भायी. (एव वयासी) वधाभली आयी. तेथे तेने या प्रमाणे
. (एवं खलु देवाणुपिया कबोएहिं चत्तारि आसा उवणयं उत्रणीया ) કએજ દેશના નાગરિકાએ આપ દેવાનુપ્રિય માટે ચાર ઘેાડાએ ભેટ રૂપમા મેકલ્યાછે. ( ते य मए देवाणुप्पियागं अण्णया चेव विणइया) ते घोडामाने भे ते दिवसे आपश्रीना भाटे योग्य शिक्षित मनावी हीघा छे. (तं एहणं सामी त आसे आइडिए पासइ) मेथी आप पधारे। अने स्वडीय प्रशस्त जति वगेरे शक्तियो
શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૨