Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रंथ : सन्देश - वन्दन
कोटि कोटि वन्दना रे... उन्होंने जीवन की क्षण 15 भंगुरता को पहचाना......
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चलती सांस कब रुक जाए? इस संबंध में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। प्रायः लोग इस तथ्य से अनभिज्ञ रहकर आज का काम कल पर छोड़ देते हैं। ऐसे लोग अज्ञानी ही हैं। पूज्य गुरुदेव व्याख्यान वाचस्पति आचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. जीवन की क्षण भंगुरता से भलीभांति परिचित थे। य कारण था कि वे अपना कोई भी कार्य दूसरे दिन के लिए नहीं छोड़ते थे । वे आज काम आज ही करते थे। अस्वस्थावस्था में भी अपनी इस प्रकार की दिनचर्या में वे कोई परिवर्तन नहीं आने देते थे। EPTE
ऐसे महान ज्ञानी गुरुदेव के दीक्षा शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनकी स्मृति में एक स्मारक ग्रंथ का प्रकाशन कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मैं इस आयोजन की सफलता के लिए हृदय से शुभकामना करता हूं। पूज्य गुरुदेवश्री के चरणों में इस अवसर पर कोटिशः वंदन । कगिरि
प्रति,
ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण'
श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
शीकशीकि
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श्रेणिककुमार चिमनलालजी लूणावत
रतलाम
प्रधान सम्पादक
श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ
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