Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हाथ या भुजा का अगला भाग, हाथी की सुंड का [ पापनाशक;-मर्षण (वि०) विशोधक, पाप को सिरा; कभी २ उंगली या उंगलियों के अर्थ में भी हटाने वाला, ऋग्वेद के मन्त्र जिनका सन्ध्या-प्रार्थना प्रयुक्त होता है। दाहिना हाथ-अथाग्रहस्ते मुकुलीकृता- के समय प्रायः ब्राह्मणों द्वारा पाठ होता है (ऋगगुली कुमा० ५।६३हायन (गः) वर्षका आरम्भ, मं०१० सू० १९०) सर्वेनसामपध्वंसि जप्यं त्रिष्वषममार्गशीर्ष (मंगसिर) महीने का नाम:हारः राजाओं र्षणम्-अमर०,-विषः साँप; --शंसः दुष्ट आदमी द्वारा बाह्मणों को जीवननिर्वाहार्थ दान में दी गई भूमि जैसे चोर;--शंसिन् (वि.) किसी के पाप या अपराध -कस्मिंश्चिदप्रहारे-दश० ८१९ । को बतलाने वाला। अग्रतः (क्रि. वि., [अग्रे अग्राद्वा-तसिल] (संबन्धकारक | अधर्म (वि०) [न० ब०] जो गरम न हो, ठंडा, °अंश, के साथ) 1. सामने, के आगे, के ऊपर; आगे 2. की __ घामन-चन्द्रमा जिसकी किरणें ठण्डी होती है। उपस्थिति में, 3. प्रथम । सम-सरः नेता। अघोर (वि.) [न० त०] जो भयानक न हो, भीषण न अतिम (वि.) असे भव:--अग्र+डिमच्] 1. प्रथम (क्रम, हो,-र: शिव या शिव का कोई रूप जिसमें अघोर श्रेणी आदि में); प्रमुख, मुख्य 2. बड़ा, ज्येष्ठ-मः -घोर हो। सम-पथ:-मार्गः शिव का अनुबड़ा भाई। यायी,-प्रमाणं भीषण शपथ या अग्नि परीक्षा। मणिय (वि.) [अग्रे भव:--अन+घ] प्रमुख आदि,-यः | अघोष (वि.) [नास्ति घोषो यस्य यत्र वा-न० ब० बड़ा भाई। ध्वनिहीन, निःशब्द,-पःप्रत्येक वर्ग के प्रथम दो अक्षर, अपीय (वि.) [अग्रेभव:-अन+छ] प्रमुख, सर्वोत्तम श, ष, तथा स। आदि । दे० अग्रिम । अक् (भ्वा० आ०) टेढा-मेढा चलना, (चु०उभ०-अङ्कयतियो (कि० वि०) 1. के सामने, पहले (काल और देश ते, अङ्कयितुं, अङ्कित) 1. चिह्नित करना, छाप लगाना वाचक) 2. की उपस्थिति में, 3. के ऊपर 4. बाद में स्वनामधेयाङ्कित-श० ४ नामांकित --नयनोदबिंदुभिः फलतः एवमग्रे वक्ष्यते, एवमत्रेऽपि द्रष्टव्यम् आदि 5. अङ्कितं स्तनांशुकम्—विक्रम०४७, 2. गिनना, 3. सबसे पहले, पहले 6. औरों से पहले। समाः घब्बा लगाना, कलङ्कित करना-तत्को नाम गुणो भवेनेता,----विषिषुः-प: पहले तीन वर्गों में से कोई एक त्सुगुणिनां यो दुर्जनै कृित:---मत० नी० ५४ 4. पुरुष जो विवाहित स्त्री से विवाह करता है, (पुनर्भू- चलना, इठलाना, जाना। विवाहकारी);-दिधिषः (स्त्री०) एक विवाहित स्त्री अङ्कः (पुं०)[अङ्क-+अच्] 1. गोद (नपुं० भी), अङ्काद्यजिसकी बड़ी बहन अभी अविवाहित है-(ज्येष्ठायां यावङ्कमुदीरिताशी:-कु०७५; 2.चिह्न, संकेत-अलक्तयद्यनढायां कन्यायामूह्यतेऽनुजा, सा चादिधिषज्ञेया काकी पदवी ततान-रघु०७/०घब्बा, लांछन, कलङ्क, पूर्वा च दिविषः स्मृता); पतिः अग्रेदिधिष स्त्री का दाग-इन्दो: किरणेष्विवाङ्क:-कु० ११३,-कट्यां कृताको पति;-वनं-जंगल की सीमा या अन्तिम सिरा; निर्वास्य:-मनु० ८।२८१; 3. अङ्क, संख्या, ९ की सर (वि०) आगे २ चलने वाला, नेता--मानमहता संख्या 4. पार्श्व, पक्ष, सान्निध्य, पहुँच,-समुत्सुकेवाङ्कमप्रेसरः केसरी-भर्तृ० २।२९। मुपैति सिद्धिः-कि० ३।४०-सिंहो जम्बुकमङ्कमागतमपि बम (वि० [अग्रे जात:-अग्र+यत] 1. प्रमुख, सर्वोत्तम, त्यक्त्वा निहन्ति द्विपम् -भर्तृ० नी० ३०; 5. नाटक का उत्कृष्ट, सर्वोच्च, प्रथम-तदङ्गमयं मघवन् महाकतोः एक खंड 6. कंटिया या मुड़ा हुआ उपकरण 7. नाट्य -रषु० ३।४६, महिषी १०१६६, अधिकरण के रचना का एक प्रकार, रूपक के दस भेदों में से एक, साथ भी; मनु० ३।१८४, पयः बड़ा भाई। दे० सा० द०५१९ 8. पंक्ति, मुड़ी हुई पंक्ति, सामाअष्=अंघ-दे० (चु० उभ०) बुरा करना, पाप करना। न्यतः एक मोड़, भुजा में मोड़। सम०-अवतारः मर्ष [अध्+अच्] 1 पाप-अघौधविध्वंसविधौ पटी- जब नाटक के आगामी अङ्क से सातत्य प्रकट करता यसी:--शि०१८, २६. मर्षण आदि 2. कुकृत्य, हुआ, पूर्वांङ्क के अन्त में-अङ्कसकेतं-किया जाता है अपराध, दोष शि० ४१३७ 3. अपकृत्य, दुर्घटना, उसे अङ्कावतार कहते हैं जैसे कि शकुन्तला का छठा विपत्ति-क्रियादधानां मघवा विधातम्-कि० ३३५२; अङ्क अथवा मालविकाग्निमित्र का दूसरा अङ्क:वे. अनघ 4. अपवित्रता, (अशौच) 5. व्यथा, कष्ट तंत्र संख्या-विज्ञान (अंकगणित या बीजगणित), -चः एक राक्षस का नाम, बक और पूतना का भाई -धारणं-णा (नपुं० स्त्री०) 1. चिह्न लगाना या संकेत जो कंस के यहां मुख्य सेनापति था। सम-असुरः करना 2. आकृति या मनुष्य को आंकने की रीति दे० ऊपर 'अघ', अहः (अहन) अपवित्रता का ---परिवर्तः 1. दूसरी ओर मुड़ना 2. किसी की गोद दिन, अशौच दिन-आयुस् (वि०) गर्हित जीवन में लुढ़कना या प्रेम के हाव-भाव दिखाना (आलिंबिताने वाला;-नाश-नाशन (वि.) परिमार्जक, गन के अवसर पर)-पालि:-पाली (स्त्री०) 1. विषिष विवाह करता से कोई एक जिसको बस For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 1372