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दीनि०='दीघनिकाय' (P. T. S.)। परि० परिशिष्ट पर्व-श्री हेमचन्द्राचार्य । प्राजलेस०प्राचीन जैन लेख संग्रह कामताप्रसाद जैन (वा)।
बविओ जेस्मा ०- बंगाल, बिहार, ओड़ीसा जैन स्मारेक-श्री ब्रह्म'चारी शीतलप्रसादजी।
जैस्मा० बम्बई प्रांतके प्राचीन जन स्मारक ब्र० शीतलप्रसादजी। बुइ-बुद्धिष्ट इन्डिया-प्रो० ह्रीस डेविड्स । भाषा०=भगवान् प्राश्वनाथ-ले० कामताप्रसाद जैन (सूरत)। भम०-भगवान महावीर- , " " भमबु० भगवान महावीर और म०बुद्ध कामताप्रसाद्र जैन (सूरत)। भमी०=भट्टारक मीमांसा (गुजराती) सूरत ।
भाई०-भारतवर्षका इतिहास-डा० ईश्वरीप्रसाद डी० लिट (प्रयाग १९२७)।
भाअशो०=अशौक-डॉ० भण्डारक ( कलकत्ता)। भावारा० - भारतके प्राचीन राजवंश श्री. विश्वेश्वरनाथ रेउ (वंबई)। भाषासइ०=भारतकी प्राचीन सम्यताका इतिहास,सर रमेशचंद्र दत्त। मनैइ० माठी जैन इतिहास । मनि०= 1 मजिसमनिकाय P. T. S. मज्झिम०= ममप्रजैस्मा०-मद्रास मैसूरके प्रा० जैन स्मारक ब्रशीतलप्रसादजी। महा०=महावग्ग (S. B. E. Vol. XVII). मिलिन्द्र० मिलिन्द पन्ह (S. B Vol. XXXV.) मुरा०-मुद्राराक्षस नाटक-इन दी हिन्दू डामेटिस दस, विलसन।
मूला० मुलाचार वट्टकेर स्वामी (हिन्दी भाषा सहित बम्बई)। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com