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६८] संक्षिप्त जैन इतिहास। निर्वाण हुआ मानना ठीक नहीं है। यह समय इसके राजा होनेका मानना ठीक है। मम. जायसवालजी, जैन और हिन्दू पुराणोंकी गणनाके आधारसे उसे ई० पूर्व ५४५में अर्थात् विक्रम संवत्से ४८८. वर्ष पूर्व सिद्ध करते हैं।' 'हरिवंशपुराण में श्री जिनसेनाचार्यने नहपानशकके राज्यकालका अन्तिम समय वीर निर्वाणसे ४८७ वा. वर्ष लिखा है और यह लिखा ही जाचुका है कि विक्रमादित्य गौतमीपुत्रने ई० पूर्व ५८में नहपानको परास्त करके उसके राज्यका अन्त करदिया था। अतः जिनसेनाचार्यके मतानुसार भी विक्रम संवत्से ४८७-४८८ वर्ष पूर्व वीरनिर्वाण हुआ प्रगट है। हम अन्यत्र इस ही मतको स्वतन्त्ररूपमें सिद्ध कर चुके हैं । फलतः वीर निर्वाणका शुद्ध रूप ई० पूर्व ५४५ मानना ठीक है।
१-जविओसो० भा० १ पृ० ९९-१०५ व भा० १३ पृ०२४५.
२-“वीरनिर्वाणकाले च पालकोऽत्राभिषिक्ष्यते । लोकेऽवंतिसुतो राजा प्रजानां प्रतिपालकः॥ पष्टिवर्षाणि तद्राज्यं ततो विजयभूभुजां । शतं च पंच पंचाशत् वर्षाणि तदुदीरितं ॥ चत्वारिंशत् पुरूढानां भूमंडलमग्वंडितं । त्रिंशत्तु पुष्यमित्राणां पष्टिवस्वग्निमित्रयोः॥शतं रासभराजानां नरवाहनमप्यतः । चत्वारिंशत्ततो द्वाभ्यां चत्वारिच्छतद्वयं ॥ भट्टवाणस्य तद्राज्यं गुप्तानां च शतद्वयं । एकविंशच्च वर्षाणि कालविद्भिरुदाहृतं ॥" ___"हरिवंशपुराण' के उक्त श्लोकोंके अनुसार वीरनिर्वाणके समय अवंतिके सिंहासन पर पालक राजाका अभिषेक हुआ था। उस वंशने ६० वर्ष, विजय (नंद ) वंशने १५५ वर्ष, पुरुढ वंशने ४० वर्ष, पुष्यमित्रने ३०, वसुमित्र अग्निमित्रने ६०, रासभ (गर्दभिल्ल) वंशने १००, नरवाहनने ४२; भट्टबाण (आन्ध्रभृत्य) ने २४२ और गुप्तवंशने २२१ वर्ष राज्य किया। नरवाहन, जो नहपानका द्योतक है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com