Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 158
________________ गुजरातमें जैनधर्म व श्वे० ग्रंथोत्पत्ति । [१३७ लवणप्रसादके बाद उसका पुत्र वीरधवल गुजरातका राजा हुआ और इसने सन १२३३ से १२३८ तक राज्य किया। इसके मंत्री और सेनापति प्रसिद्ध जैन श्रेष्ठी वस्तुपाल महान ( Vastupat the great ) और उनके भाई तेजपाल थे। वीरधवलके उपरान्त क्रमशः विशालदेव, अर्जुनदेव, सारंगदेव · और कर्णदेव नामक राजा सन १३०४ तक इस वंशमें हुये और इनके बाद फिर मुसलमानोंका अधिकार गुजरातपर होगया । वाघेलवंशके राजाओंकी सहानुभूति जैन धर्मसे थी।' वस्तुपाल और तेजपाल युगलिया भाई भाई थे। उनका जन्म प्राग्वाट जातिय असराजकी पत्नी कुमारदेवीकी वस्तुपाल और कोखसे सन १२०५ में हुआ था। असराज तेजपाल। कुमारदेवीके दूसरे पति थे। कुमारदेवी अन्न हिल्लपट्टनकी प्रसिद्ध सुन्दर और युवती विधवा थीं। एक दफे हरिभद्रसूरिका व्याख्यान सुनने वह गई थीं। वहीं असराज उनके रूपपर मुग्ध होगया और उनको बलात्कार ले भागा। आखिर कुमारदेवीने भी इसको अपना पति स्वीकार कर लिया। असराजके इनसे कई संतानें हुई । वस्तुपाल और तेज़पालके विवाह भी कुमारदेवीके सामने ही होगये थे । वस्तुपालकी पत्नी ललितादेवी मोढ़ जातिकी थी, और तेजपालकी पत्नी अनुपमा अपने गुणोंके लिये प्रसिद्ध थीं। वस्तुपाल और तेज़पालका परिचय वाघेल राजा वीरधवलसे होगया। राजाने इनके गुणोंपर मुग्ध होकर इन्हें अपना मंत्री और सेनापति नियत कर लिया । वस्तुपालके मंत्रित्वकालमें धोलकाके १-प्राजैस्मा०, पृ० २११-२१२ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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