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गुजरातमें जैनधर्म व श्वे० ग्रंथोत्पत्ति। [१२५ कई जैन मंदिर बनवाये थे। चम्पानेर नामक नगरकी नींव भी उन्होंने डाली थी।
चावड़ों के बाद गुजरातमें सोलंकियोंका राज्याधिकार सन् ९६४ से १२४२ ई० तक रहा था। सोलंकी राजा जैनधर्मानुयायी थे । अंतिम चावड़ा राजा भूभत था। उसकी बहिनका विवाह चालुक्य अथवा सोलंकी राजा महाराजाधिराज राजीसे हुआ था। इसी राजीका पुत्र मूलराज भूभतके बाद गुजरातका राजा
हुआ था। गुजरातमें इसीसे सोलंकी वंशका सोलंकी राजा व प्रारंभ हुआ माना जाता है। यह प्रभावजैनधर्म । शाली राजा था। इसने अपने राज्यका
विस्तार किया था । लाड़के राजा बारप्पासे तथा अजमेरके राजा विग्रहराजसे युद्ध किया था । मूलराजका बनवाया हुआ जैनमंदिर अनहिलवाडामें 'मूल-वस्तिका नामसे प्रसिद्ध है। इसके बनाये हुये शिवमंदिर भी मिलते हैं। मूलराजने अपना बहुतसा समय सिद्धपुरके पवित्र मंदिरमें बिताया था, जो अनहिवाड़ासे उत्तर पूर्व १५ मील है। मूलराजका उत्तराधिकारी उसका पुत्र चामुड़ ( ९९७--१०१०) हुआ। चामुड़ बनारसकी यात्राको गया था कि मार्गमें राजा मुंजने हरा कर इसका छत्र छीन लिया था। चामुड़के बाद दुर्लभराजा हुआ और उसके बाद उसका भतीजा भीम प्रथम (सन् १०२२-१०६४) शासनाधिकारी हुआ था। भीमने सिंधुदेश और चेदि अथवा बुन्देलखंड पर हमला किया था और इसमें वह विजयी हुआ था। महमद गजनवी द्वारा नष्ट किये गये
१-वंप्राजैस्मा०, पृ०८-१७।-बंप्राजैस्मा०, पृ० २०३-२०४। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com