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संक्षिप्त जैन इतिहास। उनका यह आग्रह स्वीकार भी किया था। उसके अधिकारमें आए हुए नगर मध्यमिकाके भग्नावशेषोंमेंसे एकसे अधिक जैनधर्म सम्बंधी लेख निकले हैं। इन सब बातोंसे मनेन्डरका एक समय जैनधर्मावलंबी होना प्रगट है। उसके यूनानी साथियोंमें भी जैनधर्मकी मान्यता विशेष थी। इस समयके लगभग जैन सम्राट् खारवेल द्वारा जैनधर्मका बहु प्रचार हुआ था । जैन धर्मका प्रकाश जगतव्यापी होरहा था । इससे थोड़े समय पश्चात् यूनानियोंको सिथियन-जातिके लोगोंने
जिनको भारतीय शक कहते थे. बैक्ट्रियासे शक व कुशन निकाल दिया। साथ ही शक लोगोंने मौराष्ट्र आक्रमण। पंजाब और अफगानिस्तानपर भी अपना
अधिकार जमा लिया । शक राजा मोआके राज्यमें पंजाब और अफगानिस्तान शामिल थे। धीरे धीरे शकोंकी एक शाखाने. जिसे यूची कहने थे. १५० ई० पू० के करीब बैक्ट्रियाको जीत लिया और वह वहां पांच जनसमूहोंमें बंट गई । इनमेंसे एक कुशनने सारी जातिका संगठन करके उसे एक बना लिया और पंजाब तथा अफगानिस्तानपर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। फिर कालान्तरमें शकोंने सौराष्ट्र . मालवा. मथुरा, तक्षशिला आदि दशोंमें भी अपना आधिपत्य जमा लिया था। शक राजा मोआका उल्लेख ऊपर किया जाचुका है। उसका उत्तराधिकारी एजेस (A zex 1) प्रथम था. किन्तु उसके विषयमें कुछ अधिक वर्णन नहीं मिलता है; यद्यपि इसमें संशय नहीं कि उसका राज्य दीर्घ और समृद्धिशाली था। . १-मिलिन्द० १०८. २-राई० पृ० ३५८. ३-हिग्ली० पृ० ७८. ४-भाइ० पृ० ७८.
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