________________
अन्य राजा और जैन संघ ।
[ ६५ धिकारियों का उल्लेख नहीं किया है; यद्यपि वह आन्ध्रवंश के राजाओंका ही उल्लेख करता प्रतीत होता है।
गौतमीपुत्र शातकर्णिने अपने राज्याभिषेकके १८ वें वर्ष में शकोंको परास्त किया था । उस समय अर्थात् ई० पू० ५८ में उनकी अवस्था ४२ वर्षकी थी। आंध्र राज्यका भार उनपर ही
विक्रमादित्य व जैनधर्म |
बाल्यावस्था से - जन्मसे ही आन पड़ा था । चौवीस वर्षकी आयु प्राप्तकर लेनेपर पुरातन प्रथाके अनुसार उनका राज्याभिषेक हुआ था । इन चौवीस वर्षोंमें उनके नामपर राजमाता गौतमीने, शिवाजीकी माता जीजाबाईके समान, राजकाज किया था । उनका कुल राज्यकाल ५६ वर्ष था । ई० पू० ४४ में वह इस संसार को छोड़ गये थे। जैनोंकी पट्टावलियोंमें जो वीर निर्वाणसे ४७० वर्ष पश्चात् विक्रमादित्यका जन्म हुआ लिखा है तथा वीर निर्वाण संवत् विक्रम संवतके आरम्भसे ४७० वर्ष पहले वीर निर्वाण हुआ मानकर प्रचलित है. उम १८ वर्ष के अंतरका कारण मम० जायसवाल यही प्रगट करते हैं कि एक गणना गौतमी पुत्र शा० के जन्मसे राज्य करने ( विक्रमका जन्म होने ) की द्योतक है और दूसरी जिसके अनुसार वीर निर्वाण प्रचलित है उनकी शक विजयसे गिनी गई है; जिसकी स्मृतिमें वह संवत चला था, जो विक्रम संवतके नामसे प्रचलित है, उसमें इस बातका ध्यान नहीं रक्खा गया है कि वह घटना गौतमी पुत्र विक्रमादित्य के राज्यकाल के १८ वर्षकी है । जैनोंके इस मतभेदसे भी विक्रमादित्यका गौतमी पुत्र शातकर्णि होना
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com