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सम्राट् खारवेल ।
[ ३३ ई० पू० में कौशलपर 'मेघ' कुलके राजाओंका अधिकार था, जो बलवान और कुशाग्र-बुद्धि थे। इन्हीं राजाओं में मेघवाहन राजा थे । संभवतः दक्षिणकौशलसे आकर उन्होंने ही 'ऐल चेदिवंश' के राज्यकी जड़ कलिङ्गमें जमाई थी। 'ऐल' वह कौशलके प्रसिद्ध राजा ऐसे सम्बन्धित होनेके कारण विद्वानों द्वारा अनुमान किया गया है। उधर उपरोक्त प्रकार ' हरिवंशपुराण' में स्पष्टतः चेदिराष्टकी स्थापना राजा ऐलेकी सन्तति द्वारा हुई कही गई है। चेदिराष्ट्र के संस्थापक और शासक होने के कारण ही उपरान्त ऐले की हरिवंशी सन्तति चेदिवंश के नामसे प्रसिद्ध होगई और उसने अपने महान साहसी और यशस्वी पूर्वज ऐलेयके नामको भुलाया नहीं । अतएव यह स्पष्ट है कि कलिङ्गका वह राजवंश जिसमें सम्राट् खारवेल हुये, कौशलके हरिवंशी राजा ऐलेय और दक्षिणकौशल के चेदिवंश से सम्बन्धित था। 'हरिवंशपुराण' से उक्त प्रकार भ० महावीर अथवा उनके बाद तक हरिवंशका शासन कलिङ्गमें प्रमाणित है । हिन्दू शास्त्रमें भी जन्मेजय रामके उपरान्त सब ही क्षत्रियोंको कौशल ऐलका वंशज प्रगट करते हैं और कलिङ्गवंशको 'महाभारतकाल' से चला आता बताते हैं । उसका मगध सम्राट् नन्दवर्द्धन द्वारा अन्त हुआ था । कलिङ्गराज हतप्रभ होकर दक्षिणकौशलमें जारहे और उपरान्त मौर्य साम्राज्य के पतन होनेपर उनके वंशजोंने अपना अधिकार फिरसे कलिङ्गमें जमा लिया !
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१ - जविओोसो०, मा०३ पृ० ४८३ - ४८४. २ - जविओसं ०, भा० ३ पृ० ४३४. * जविमोसो, भा० १६ पृ० १९०.३ - जवि - असो० भा० ३ पृ० ४३५.
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