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इक्कीसवां बोल-७
जैसे कालीदास ने एक पद सुनकर दूसरा पद बना दिया, उसी प्रकार एक पद सुनकर दूसरा बना लेने की शक्ति पदानुसारिणी लब्धि प्राप्त होने से ही प्राप्त होती है। वह आलस्य करने से नहीं प्राप्त होती ।
शास्त्र कहता है--हे मुनियो । अगर तुम सूत्र की आवृत्ति करते रहोगे तो तुम्हे पदानुसारिणी लब्धि प्राप्त होगी। जैसे हथियार घिसते रहने से तीखा रहता है, उसी प्रकार सूत्रविद्या को आवृत्ति करते रहने से आपकी विद्या भी तीक्ष्ण रहेगी।