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इसके सम्पादन और यूक सधन में सहायता मेरे सहयोगी मं. भंवरलाल पोल्याका और कु. प्रीसि जैन ने दी है । मुद्रण जर्नल प्रेस के स्वामी श्री अजय काला ने किया है । इन सबकी सहायता के प्रभाव में तथा डा. गोपीचन्द्र पाटनी एवं संयोजत महोदय श्री ज्ञानयन्द्र बिन्दुका की प्रेरणा के बिना इस पुस्तक का प्रकापान सम्भव नहीं था । मैं इन सबके प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूं।
(प्रो.) प्रवीणचन्द्र जैन
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