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जाता है कि आचार्य वाग्भट प्रथम राजा जयसिंह के समकालीन थे। राजा जय सिंह का राज्यकाल वि0सं0 1150 ते ।।११ (1093 ई. ते ।।43 ई.) तक माना जाता है। अत: वाग्भट प्रथम का भी यही काल प्रतीत होता है।
वाग्भट प्रथम के उपर्युक्त कार्यकाल की पुष्टि प्रभावकचरित के इस कथन से भी होती है कि वि0सं0 1178 में मुनिचन्द्रसरि के समाधिरमण होने के एक वर्ष पश्चात देवतरि के द्वारा थाड (वाग्भट) ने मर्ति प्रतिष्ठा कराई। इस प्रकार वाग्भट का काल पूर्वोक्त राजा जयसिंह का ही काल ज्ञात होता है।
1. जैनाचार्यों का अलंका रशास्त्र में योगदान, पु, 7 -गपर्श त्र्यंबक देशपाण्डेने वाग्भट का लेखनकाल रिटर. 1122 से 1156 माना है।
(पृ. 135, भारतीय साहित्यशास्त्र ) 2. तिकादशके साष्टासप्ततौ विक्रमार्कतः।
वत्सरापां व्यतिकान्ते श्रीमुनिचन्द्रसूरयः।। आराधना विधिप्रेष्ठं कृत्वा प्रायोपवेशनम्। शमपीयूषकल्लोलप्लुतात्ते त्रिदिवं ययुः।। वत्सरे तत्र चैकत्र पर्षे श्री देवसरिभिः। श्रीवीरस्य प्रतिष्ठा प्त थाडो कारयन्मदा।।
-प्रभावकचरित - वादिदेवतरिरचरित, 71-73