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'उस समय हम यहीं थे !"
14
'यहाँ क्या कर रहे थे ?"
"
अपना काम ।
"तो क्या तुम राजधानी के हो ?"
"हाँ, हमारा सारा जीवन राजधानी में ही बीता है। "
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'तलकाडु क्यों गये?"
"हमारे मालिक का आदेश था ।"
"जगह-जगह तमाशा दिखाते रहनेवाले घुमक्कड़ों का कोई मालिक भी होता
है ? ऐसी बात करो जिस पर विश्वास किया जा सके । शपथ ली हैं कि सच ही बोलोगे । सावधान !"
"झूठ मेरे मुँह से निकलता ही नहीं।"
"तुम्हारा मालिक कौन हैं ?"
"
'अभी बताना हैं... या बाद में भी बताया जा सकता है ?"
11 'बाद से मतलब ? 1
" इन सभी बन्दियों के वक्तव्य हो जाने के बाद। "
“ठीक हैं, वैसा ही करें। वेग्णमय्या का कहना है कि तुम एक बूढ़े से बातचीत
कर रहे थे। क्या यह सच है ?"
11
"
'सच है।"
"उसने तुम्हें क्या दिखाया ?"
11
'परदेवाली गाड़ी।"
14
"कुछ कहा भी ?"
'जी हाँ ।'
"
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" 'क्या कहा था?"
"उस परदेवाली गाड़ी पर ध्यान रखो। उनके अन्दर बैठे लोग देशद्रोही मालूम
पड़ते हैं । युक्ति से उन लोगों को तलकाडु बुला लाओ।"
"क्यों ?"
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'यह मुझे मालूम नहीं।"
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'तुमने पूछा नहीं ?"
" मालिक की आज्ञा का पालन करना मात्र हमारा काम है।"
" तो वह बूढ़ा तुम्हारा मालिक है ?"
“हाँ।"
"
'तुमने कहा कि मालिक की आज्ञा से तलकाडु की ओर गये थे। उसी मुँह से कह रहे हो कि मालिक तलकाडु में थे। इन दोनों बातों में तालमेल नहीं बैठ रहा है ।"
पट्टमहादेवी सातला भाग बार 343