Book Title: Pattmahadevi Shatala Part 4
Author(s): C K Nagraj Rao
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 453
________________ मनुमा जगदेकवीर नेरे यंगोर्वीश्वरं मिक्कना तन पुत्रं रिपुभूमि पालक मदस्समदन विष्णुन । द्धन-भूपं नेगळ्दं धरावळे यदोळु श्रीराजकंठोरवं ॥ आनेगळ्देरेयंग त्रिपा। लनसूनु ब्रिहरि पर्दनं सकन्ट धरि ।। श्रीनाथनस्थि जनता। भानुसुतं विष्णुभूपनुदयं गेय्दं । अरिनर पसिरास्फालन। करतुद्धस बार मारलेश्वर २८ सं॥ हरणं निजान्वयैका। भरणं श्री बिट्टिदेवनीवरदेव ॥ स्वस्ति समधिगत पंचमहाशब्द महामंडलेश्वरं । द्वारावती पुरवराधीश्वर । यादवकुलांबरधुमणि। सम्यक्त चूडामणि। मलपरोळ गई। चत्नके बलुगंड। नाळि मुन्निरेव । सौर्यमं मेरेव । तलकाडुगोण्ड। गडप्रचंड । पट्टि पेरुमाल निज राज्याभ्युदयैक रक्षण दक्षक। अविनय नरपालक जनशिक्षक। चक्रगोट्टवन दावानल। नहित मंडलिक काळानळ । तोंड मंडळिक मंडळ प्रचंड दौनिळ । प्रबन रिपुवळ संहरण कारण । विद्विष्ट मंडलिक मद निवारण करण। नोलंब एरेयंग राजा मनु से बोधित मार्ग को छोड़ने वाला नहीं था। इसका पुत्र, शत्रुराजाओं के गर्व को नाश करने वाला, राजसिंह, विष्णुवर्धन राजा इस भूमण्डल में सुशोभित है। कीर्तिशाली एरेयंग राजा का पुत्र विष्णुभूप. बड़े बड़े शत्रुओं का नाश कर सारी पृथ्वी का राजा हुआ तथा याचक-जन के लिए राजा कर्ण की भाँति सुशोभित हुआ। शत्रुजनों को कैंपानेवाला, गर्वितवैरि सामन्तों के मद का नाशक, अपने वंश का आभरण रहा है यह श्रेष्ठदेव श्री बिट्टिदेव। स्वस्ति समधिगत पंचमहाशब्द महामंडलेश्वर, द्वारावती पुरवराधीश्वर, यादवकुलाम्बरधुमणि, सम्यक्च चूडामणि, दम्भियों का दमन करनेवाला, हठियों का नाशक, देखते ही मारनेवाला, शौर्य का प्रदर्शन करनेवाला, तलकाडु स्वाधीन करनेवाला, शूरों का शूर, अपने पट्टिपेरुमाल राज्य के रक्षण में समर्थ, अविनीत राजाओं का शिक्षक, सेना लेकर आनेवालों को दावानल, शत्रु समूह के लिए कालानल, दुष्ट सामन्त-समूह को भयंकर वनाग्नि, प्रबल शत्रुबलसंहारकारण, द्वेषी सामन्तक वर्ग का नाशक, नोलंब पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार :: 459

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