Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 13
Author(s): Gaurishankar Hirashankar Oza
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 11
________________ कवि जटमल रचित गोरा बादल की बात ३६७ जायसी कहता है कि पद्मिनी पर आसक्त बना हुआ राजा, योगी बनकर सिंहल को चला, अनेक राजकुमार भी चेले होकर उसके साथ हो गए और तोते को भी अपने साथ ले लिया। विविध संकट सहता हुआ प्रेम-मुग्ध राजा सिंहल में पहुंचा। इस विषय में जटमल का यह कथन है कि योगी ने मृगचर्म पर बैठकर मन्त्र पढ़ा जिसके प्रभाव से रत्नसेन तथा वह योगी सिंहल में पहुँचे । जायसी तोते के द्वारा पद्मिनी का रत्नसेन से परिचय होना और वसंत पंचमी के दिन विश्वेश्वर के मंदिर में रत्नसेन तथा पद्मिनी के परस्पर साक्षात् होने पर उसका मोहित हो जाना और अनेक प्रकार से आपत्तियाँ उठाने के बाद शिव की आज्ञा से सिंहल के राजा का रत्नसेन के साथ पद्मिनी के विवाह होने का वर्णन करता है; तो जटमल कहता है कि जब रत्नसेन सिंहल में पहुँच गया, तब उस योगी ने वहाँ के राजा को रत्नसेन का परिचय देकर पद्मिनी के लिये उसे योग्य वर बतलाया, जिससे सिंहल के राजा ने उसका विवाह उसके साथ कर दिया। जायसी बतलाता है कि रत्नसेन सिंहल में कुछ काल तक रह गया। इस बीच में उसकी पहले की राना नागमती ने विरह के दुःख से दुःखित होकर एक पक्षी के द्वारा उसके पास संदेश पहुँचाया, तब रत्नसिंह को चित्तौड़ का स्मरण हुआ, फिर वह वहाँ से बिदा हो कर अपनी नई रानी (पद्मिनी) सहित चला। मार्ग में समुद्र के भयंकर तूफान आदि आपत्तियाँ उठाता हुआ बड़ी कठिनता से अपनी राजधानी को लौटा; तो जटमल का कहना है कि राजा, पद्मावती और योगी आदि उड़नखटोले ( विमान ) में बैठकर चित्तौड़ को पहुँचे। __ जायसी राघव चेतन नामक ब्राह्मण का ( जो जादू-टोने में निपुण था) राजा के पास आ रहना और जादूगरी का भेद खुल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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